लोहरदगा: झारखंड सरकार ने राज्य में उर्दू शिक्षकों की बहाली को लेकर एक ऐतिहासिक निर्णय लिया है। यह लंबे समय से लंबित एक मांग का समाधान है, और इसे अल्पसंख्यक समुदाय, विशेषकर उर्दू भाषियों के लिए एक बड़ी जीत के रूप में देखा जा रहा है। अब राज्य के प्रारंभिक विद्यालयों में उर्दू सहायक शिक्षकों के 3712 पदों के स्थान पर कुल 4339 पदों के सृजन को स्वीकृति मिल चुकी है।
इसमें इंटरमीडिएट स्तर पर प्रशिक्षित सहायक शिक्षकों के लिए 3287 पद और मध्य विद्यालयों के लिए स्नातक प्रशिक्षित सहायक शिक्षकों के लिए 1052 पद शामिल हैं। यह कदम झारखंड में उर्दू भाषा, संस्कृति और पहचान को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा।
अंजुमन इस्लामिया लोहरदगा के नायब सदर सैयद आरिफ हुसैन बबलू और संयुक्त सचिव अल्ताफ कुरेशी ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन का आभार जताते हुए इसे “सिर्फ बहाली नहीं, बल्कि एक सपने की तामीर” बताया। उन्होंने कहा कि इस निर्णय से उर्दू भाषी युवाओं को मुख्यधारा से जोड़ने, उनकी मातृभाषा को सुरक्षित रखने और आने वाली पीढ़ियों को उर्दू संस्कृति से जोड़ने का मौका मिलेगा।
यह निर्णय न केवल शिक्षा के क्षेत्र में एक नई उम्मीद लेकर आया है, बल्कि भाषायी सौहार्द और सामाजिक सामंजस्य को बढ़ावा देने की दिशा में भी एक अहम कदम है। विभिन्न सामाजिक संगठनों और शिक्षा प्रेमियों ने इस फैसले को ऐतिहासिक, दूरदर्शी और न्यायपूर्ण करार दिया है। उनके अनुसार, इससे झारखंड में शिक्षा का स्तर और सामाजिक सौहार्द मजबूत होगा।
यह कदम न केवल उर्दू भाषा के अस्तित्व को संरक्षित करेगा, बल्कि शिक्षा के स्तर में भी सुधार लाएगा, जिससे राज्य के हर कोने में बेहतर शिक्षा व्यवस्था सुनिश्चित की जा सकेगी।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन के इस फैसले से राज्य के उर्दू भाषी समाज में खुशी की लहर दौड़ गई है, और यह कदम झारखंड में शिक्षा के स्तर को और ऊंचा उठाने में सहायक साबित होगा।