जोहार हिंदुस्तान | नई दिल्ली : भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम, 2010 (FCRA) के तहत पंजीकृत सभी गैर-सरकारी संगठनों (NGOs) और एसोसिएशनों को सख्त निर्देश जारी किए हैं। मंत्रालय ने स्पष्ट कर दिया है कि अब संगठनों को अपने पंजीकरण के नवीनीकरण का आवेदन समाप्ति तिथि से कम से कम चार महीने पहले अनिवार्य रूप से जमा करना होगा।
मंत्रालय का कहना है कि देर से आवेदन करने पर सुरक्षा एजेंसियों द्वारा जांच और जरूरी औपचारिकताओं के लिए पर्याप्त समय नहीं मिल पाता, जिससे आवेदन लंबित रह जाते हैं और कई बार NGO का पंजीकरण स्वतः समाप्त मान लिया जाता है।
क्यों जारी हुआ आदेश?
गृह मंत्रालय ने हाल के वर्षों में देखा है कि कई संगठन नवीनीकरण का आवेदन सिर्फ 30-40 दिन पहले जमा करते हैं। ऐसे में मंत्रालय और सुरक्षा एजेंसियों को जांच-पड़ताल करने का समय नहीं मिलता। नतीजतन, जैसे ही पंजीकरण की समयसीमा खत्म होती है, NGO विदेशी फंड लेने या उसका इस्तेमाल करने के अधिकार से वंचित हो जाता है।
आदेश के मुख्य बिंदु
सभी एसोसिएशन और NGOs को नवीनीकरण का आवेदन चार महीने पहले जमा करना होगा।
आवेदन ऑनलाइन FC-3C फॉर्म में, आवश्यक शपथपत्रों के साथ करना होगा।
जो संगठन समय पर आवेदन नहीं करेंगे, वे नवीनीकरण की मंजूरी मिलने तक विदेशी अंशदान का उपयोग नहीं कर सकेंगे।
मंत्रालय ने सभी संगठनों को आगाह किया है कि अनुपालन न करने पर उनकी गतिविधियाँ बाधित होंगी।
FCRA का उद्देश्य और पृष्ठभूमि
विदेशी अंशदान (विनियमन) अधिनियम, 2010 का उद्देश्य है कि विदेश से आने वाले फंड का उपयोग पारदर्शिता के साथ और राष्ट्रीय हितों को ध्यान में रखते हुए किया जाए।
यह कानून NGOs, सोसायटी, ट्रस्ट और अन्य संगठनों पर लागू होता है। संगठन तभी विदेशी चंदा ले सकते हैं, जब वे FCRA के तहत पंजीकृत हों।
2010 से अब तक इसमें कई संशोधन हुए हैं। हाल के वर्षों में सरकार ने इसे और सख्त बना दिया है ताकि विदेशी फंड का दुरुपयोग न हो।
कितने संगठन प्रभावित होंगे?
देशभर में करीब 16,000 से अधिक संगठन वर्तमान में FCRA के तहत रजिस्टर्ड हैं। लेकिन आंकड़े बताते हैं कि पिछले 10 सालों में 20,000 से ज्यादा संगठनों का FCRA लाइसेंस रद्द हो चुका है।
NGOs पर क्या होगा असर?
यदि समय पर आवेदन नहीं किया गया तो विदेशी दान लेने और उसका इस्तेमाल करने पर रोक लग जाएगी। शिक्षा, स्वास्थ्य, महिला सशक्तिकरण, बाल संरक्षण और मानवाधिकार जैसे क्षेत्रों में चल रहे प्रोजेक्ट प्रभावित होंगे। हजारों कर्मचारियों की नौकरी और लाखों लाभार्थियों की सुविधाएं रुक सकती हैं।
सरकार का तर्क और NGOs की चिंता
सरकार का कहना है कि यह कदम राष्ट्रीय सुरक्षा और पारदर्शिता के लिए जरूरी है। गृह मंत्रालय ने साफ किया है कि विदेशी फंडिंग का हर लेन-देन पूरी तरह पारदर्शी होना चाहिए।
वहीं, कई NGOs का तर्क है कि प्रक्रियाएं बहुत जटिल और समय लेने वाली हैं। छोटे संगठनों के पास कानूनी और तकनीकी क्षमता कम होती है, जिससे वे समय पर आवेदन नहीं कर पाते।
मंत्रालय की अपील
संयुक्त निदेशक सौरभ बंसल द्वारा हस्ताक्षरित नोटिस में कहा गया है कि सभी एसोसिएशन और संगठन समय से काफी पहले, और हर हाल में समाप्ति से चार महीने पूर्व नवीनीकरण का आवेदन करें। इससे उनके आवेदन समय पर निपट सकेंगे और गतिविधियों में कोई व्यवधान नहीं होगा।
गृह मंत्रालय का यह कदम उन सभी संगठनों के लिए बेहद अहम है जो विदेशी फंडिंग पर निर्भर हैं। समय पर आवेदन न करने पर उनके प्रोजेक्ट और कामकाज ठप हो सकते हैं। इसलिए NGOs को तुरंत अपने दस्तावेज़ों और नवीनीकरण प्रक्रिया पर ध्यान देना होगा।