नई दिल्ली : झारखंड में वर्ष 2005 में लागू गोवंश प्रतिबंध अधिनियम कुरैश कांफ्रेंस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और 84 पंचायत के झारखंड प्रदेश अध्यक्ष हाजी अफसर कुरैशी ने राष्ट्रीय स्तर पर कानूनी चुनौती दी है। इस कानून को संविधान विरोधी बताते हुए सुप्रीम कोर्ट में उन्होंने झारखंड सरकार के खिलाफ जनहित याचिका (PIL) दाखिल की है।
इस पीआईएल को सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता एवं कुरैश कांफ्रेंस के राष्ट्रीय अध्यक्ष सनोवर अली कुरैशी द्वारा दायर किया गया है। याचिका में झारखंड सरकार के स्लॉटर हाउस (मांस प्रसंस्करण केंद्र) को दोबारा चालू करने की मांग की गई है। साथ ही वर्ष 2005 में बने “गोवंश हत्या प्रतिषेध अधिनियम” में संशोधन की भी मांग की गई है।
याचिकाकर्ता हाजी अफ़सर क़ुरैशी का कहना है कि यह कानून झारखंड के पारंपरिक व्यवसाय से जुड़े कुरैशी समाज, मीट व्यापारियों और मुस्लिम समुदाय के लिए न केवल आजीविका की बाधा है, बल्कि यह संवैधानिक अधिकारों का भी उल्लंघन करता है। उनका तर्क है कि भारत जैसे लोकतांत्रिक देश में धार्मिक मान्यताओं का सम्मान करते हुए, सभी नागरिकों को समान अधिकार और व्यवसाय की स्वतंत्रता दी जानी चाहिए।
याचिका में यह भी कहा गया है कि कई राज्यों में आधुनिक स्लॉटर हाउस संचालित हैं, तो झारखंड जैसे राज्य में इसे बंद करना सामाजिक एवं आर्थिक भेदभाव को दर्शाता है। सुप्रीम कोर्ट से आग्रह किया गया है कि वह इस अधिनियम की संवैधानिक वैधता की समीक्षा करे और झारखंड में बंद पड़े सरकारी स्लॉटर हाउसों को पुनः शुरू करने एव लाइसेंस रीनवाल करने का निर्देश दे।
इस मुद्दे को लेकर झारखंड सहित देशभर में बहस तेज हो गई है। अब देखना होगा कि सुप्रीम कोर्ट इस पर क्या निर्णय देता है। इस मामले में राष्ट्रीय महा सचिव मोहम्मद अश्क़ीन क़ुरैशी भी शामिल थे।