नई दिल्ली : बिहार विधानसभा चुनाव से पहले सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने बिहार में मतदाता सूची के प्रकाशन पर रोक लगाने की मांग को ठुकरा दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि वह चुनाव प्रक्रिया में किसी तरह की बाधा नहीं डालेगा और 1 अगस्त 2025 को मतदाता सूची निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार प्रकाशित होगी। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब बिहार में विधानसभा चुनाव की उल्टी गिनती शुरू हो चुकी है। आने वाले दिनों में मतदाता सूची को लेकर विवाद और राजनीतिक बयानबाजी तेज़ हो सकती है। देखने वाली बात होगी कि क्या निर्वाचन आयोग विपक्ष की चिंताओं को दूर कर पाने में सफल होता है या यह मुद्दा चुनाव के केंद्र में आ जाएगा।
कोर्ट का रुख स्पष्ट
न्यायालय ने कहा कि चुनाव लोकतंत्र की नींव है और उसमें किसी भी प्रकार की अनावश्यक देरी या हस्तक्षेप लोकतांत्रिक प्रक्रिया को प्रभावित कर सकता है। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि सूची के प्रकाशन के बाद भी दावा-आपत्ति की प्रक्रिया जारी रहेगी, जिससे किसी भी मतदाता को अपने अधिकार के लिए उचित मंच मिलेगा।
बिहार में चुनावी सरगर्मी तेज
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद बिहार में चुनावी माहौल और गर्म हो गया है। सत्तारूढ़ गठबंधन जहां इसे संवैधानिक प्रक्रिया की जीत बता रहा है, वहीं विपक्षी दलों में नाराजगी है।
RJD ने दी चुनाव बहिष्कार की चेतावनी
राष्ट्रीय जनता दल (राजद) ने मतदाता सूची की पारदर्शिता पर सवाल उठाते हुए चुनाव बहिष्कार तक की धमकी दी है। राजद नेताओं का आरोप है कि सरकार और चुनाव आयोग की मिलीभगत से लाखों मतदाताओं के नाम जानबूझकर हटाए गए हैं, ताकि सत्तारूढ़ दल को लाभ पहुंचाया जा सके। विपक्षी दलों ने मांग की है कि पूर्ण पारदर्शिता के साथ मतदाता सूची की समीक्षा कराई जाए और निर्वाचन आयोग स्वतंत्र संस्था के रूप में कार्य करे, न कि सरकार के दबाव में।