जोहार हिंदुस्तान | रांची: झारखंड आंदोलन के पुरोधा और राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री दिशोम गुरु शिबू सोरेन के निधन की खबर से पूरे राज्य में शोक की लहर है। इस दुखद समाचार के बाद आमया संगठन ने आज 4 अगस्त को प्रस्तावित विधानसभा घेराव कार्यक्रम को स्थगित कर दिया है। और पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन की याद में शोक सभा का आयोजन कर दिवंगत नेता को श्रद्धांजलि अर्पित की।
शोक सभा में भावुक हुए संगठन के सदस्य
शोक सभा के दौरान आमया संगठन के अध्यक्ष एस. अली ने कहा कि “दिशोम गुरुजी का निधन झारखंड के लिए अपूरणीय क्षति है। उन्होंने झारखंड के निर्माण और यहां के लोगों के अधिकारों के लिए आजीवन संघर्ष किया। उनका सामाजिक और राजनीतिक कद सदैव अग्रणी रहा है। उनका योगदान आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बना रहेगा।”
सभा के दौरान 2 मिनट का मौन रखकर दिवंगत नेता को श्रद्धांजलि दी गई।
इन मुद्दों को लेकर था प्रस्तावित घेराव
आज 4 अगस्त को 11 बजे से झारखंड विधानसभा का घेराव किया जाना था, जिसमें झारखंड भर से मुस्लिम समुदाय के लोग शामिल होने के लिए निकल चुके थे। घेराव का उद्देश्य झारखंडियों और मुस्लिम समाज से जुड़ी 20 सूत्री मांगों को लेकर सरकार का ध्यान आकृष्ट कराना था। प्रमुख मांगों में शामिल थे
मुस्लिम समुदाय के न्याय अधिकार सुनिश्चित करना
मॉब लिंचिंग कानून लागू करना
रामगढ़ के अफताब अंसारी हत्याकांड की सीबीआई जांच
10 जून 2022 रांची गोलीकांड की सभी प्राथमिकी हटाना
हज यात्रा की शुरुआत रांची एयरपोर्ट से पुनः करवाना
3712 उर्दू शिक्षकों की बहाली
मदरसा फाज़िल डिग्री को माध्यमिक आचार्य में मान्यता देना
आलिम और फाजिल की परीक्षा रांची विश्वविद्यालय से कराना
लेकिन दिशोम गुरु शिबू सोरेन के निधन के चलते इस जनांदोलन को स्थगित कर दिया गया।
शोकसभा में बड़ी संख्या में संगठन से जुड़े कार्यकर्ता और समाज के लोग उपस्थित रहे। प्रमुख रूप से जियाउद्दीन अंसारी, नौशाद अंसारी, मोहम्मद फुरकान, रहमतुल्लाह अंसारी, सफदर सुल्तान, औरंगज़ेब आलम, अंजुम खान, अब्दुल गफ्फार, जावेद अंसारी, आसिफ अंसारी, अलाउद्दीन अंसारी, शहबान अंसारी, अबु रेहान, अफरोज अंसारी, इमरान अंसारी, एनामुल अंसारी, अमीन अकेला, सईद अहमद, मुद्दसिर नैयर, मोबिन अंसारी, सिद्दीक अंसारी, मोहम्मद गुलज़ार, सलामत अंसारी, जमील अख्तर, मोहम्मद अज़हरुद्दीन सहित कई अन्य कार्यकर्ता शामिल रहे।
गुरुजी की स्मृति में आमया संगठन ने यह संकल्प भी लिया कि उनके अधूरे सपनों — जल, जंगल, ज़मीन और अधिकारों की रक्षा की लड़ाई को जारी रखा जाएगा।