जोहार हिंदुस्तान | पटना: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए राजनीति का पारा चढ़ चुका है और बायसी सीट पर सबसे बड़ा राजनीतिक उलटफेर देखने को मिला है। AIMIM के टिकट पर चुनाव जीतकर असदुद्दीन ओवैसी से विश्वासघात कर RJD में शामिल हुए विधायक सैयद रुकनुद्दीन अहमद को RJD ने टिकट देने से इनकार कर दिया है। इसके बजाय RJD ने छह बार के पूर्व विधायक अब्दुस सुब्हान को अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया।
सबसे बड़ा राजनीतिक संदेश
रुकनुद्दीन के टिकट कटने को राजद द्वारा स्पष्ट संदेश माना जा रहा है कि “गद्दारी करने वालों पर पार्टी दांव नहीं लगाएगी, चाहे वह कितना भी प्रभावशाली चेहरा क्यों न हो।
AIMIM के लिए मनोवैज्ञानिक जीत का मौका
इस फैसले को AIMIM कार्यकर्ता बड़ी जीत के रूप में देख रहे हैं, क्योंकि 2020 में असदुद्दीन ओवैसी की कई जनसभाओं और ग्राउंड कनेक्ट प्रयासों के बाद यह सीट AIMIM ने ऐतिहासिक रूप से RJD से छीनी थी।
राजनीतिक संकेत और पृष्ठभूमि
2020 चुनाव: AIMIM में सैयद रुकनुद्दीन ने बायसी सीट से एतिहासिक जीत दर्ज की थी।
जीत के बाद धोखा: जीतते ही उन्होंने पार्टी नेतृत्व को दरकिनार कर RJD में शामिल होने का फैसला किया।
विधानसभा में AIMIM अकेली पड़ गई, जिसे ओवैसी ने “राजनीतिक गद्दारी” करार दिया था।
RJD का नया दांव – अब्दुस सुब्हान को क्यों चुना गया?
राजनीतिक संकेत और कारण विवरण
राजनीतिक अनुभव 6 बार के विधायक रह चुके हैं, क्षेत्र में पुराना प्रभाव यादव-मुस्लिम समीकरण RJD की परंपरागत वोट बैंक को फिर से सक्रिय करने का प्रयास AIMIM की चुनौती ओवैसी के बढ़ते प्रभाव को रोकना मुख्य रणनीति।
क्या कहता है राजनीतिक विश्लेषण?
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला सिर्फ टिकट काटने का मामला नहीं, बल्कि बिहार की मुस्लिम राजनीति में AIMIM को फिर से स्पेस देने की शुरुआत है। RJD ने यह संकेत दे दिया है कि जो नेता सिद्धांतों से भटकते हैं, उनका टिकट पक्का नहीं है।
