राजस्थान के जैसलमेर जिले से एक हृदयविदारक खबर सामने आई है, जहां पूनमनगर स्थित राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय में स्कूल का जर्जर प्रवेशद्वार गिरने से 9 वर्षीय छात्र अरबाज़ खान की दर्दनाक मौत हो गई। यह हादसा इतना भयावह था कि बच्चे की मौके पर ही मौत हो गई, जिससे पूरे गांव में मातम का माहौल है।
हादसे के वक्त स्कूल परिसर में था छात्र
मृतक छात्र अरबाज़ खान स्कूल परिसर में सामान्य रूप से अन्य बच्चों के साथ मौजूद था। जैसे ही वह गेट के पास से गुजरा, अचानक पुराना और कमजोर प्रवेशद्वार भरभराकर गिर गया और अरबाज को अपनी चपेट में ले लिया। स्थानीय लोगों ने उसे फौरन अस्पताल पहुंचाया, लेकिन तब तक उसकी सांसे थम चुकी थीं।
प्रशासन की लापरवाही या सिस्टम की क्रूरता?
सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि यह दर्दनाक घटना भाजपा विधायक छोटू सिंह भाटी के पैतृक गांव में घटी है। ऐसे में सवाल उठता है कि यदि विधायक के अपने गांव में स्कूल की हालत इतनी बदतर है, तो बाकी गांवों में क्या हाल होगा? स्थानीय लोगों ने सवाल उठाया है, “क्या सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले गरीब बच्चों की जान की कोई कीमत नहीं है?”
गांव में पसरा मातम, आक्रोशित हैं लोग
अरबाज खान की मौत के बाद पूरे गांव में गम और गुस्से का माहौल है। परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल है। ग्रामीणों और अभिभावकों ने स्कूल प्रबंधन और शिक्षा विभाग की घोर लापरवाही पर सवाल उठाते हुए प्रशासन से सख्त कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने यह भी कहा कि स्कूल की बिल्डिंग और गेट काफी समय से जर्जर हालत में था, लेकिन कोई मरम्मत नहीं कराई गई।
मासूमों की सुरक्षा पर सवाल
यह घटना एक बार फिर सरकारी स्कूलों की बदहाल व्यवस्था और प्रशासनिक उदासीनता को उजागर करती है। सरकारें बच्चों के शिक्षा अधिकार की बात करती हैं, लेकिन जब स्कूल खुद जानलेवा बन जाएं, तो जिम्मेदार कौन होगा?