जोहार हिंदुस्तान डेस्क | नई दिल्ली : धनबाद के बहुचर्चित नीरज सिंह हत्याकांड मामले में बड़ा मोड़ आया है। झरिया के पूर्व विधायक संजीव सिंह को सुप्रीम कोर्ट से ज़मानत मिल गई है। पूर्व विधायक संजीव सिंह पर अपने ही चचेरे भाई और धनबाद के पूर्व डिप्टी मेयर नीरज सिंह की हत्या का आरोप है। यह हत्या वर्ष 2017 में हुई थी, जिसके बाद से संजीव सिंह बीते सात वर्षों से जेल में बंद थे।
क्या है पूरा मामला?
21 मार्च 2017 की शाम को धनबाद के सरायढेला थाना क्षेत्र में हुई इस घटना ने पूरे झारखंड की राजनीति को हिला दिया था। उस समय धनबाद नगर निगम के डिप्टी मेयर रहे नीरज सिंह की कार पर अज्ञात हमलावरों ने अंधाधुंध गोलियां बरसा दीं। इस गोलीबारी में नीरज सिंह, उनके ड्राइवर और दो अंगरक्षक की मौके पर ही मौत हो गई थी।
हत्या के पीछे कारण राजनीतिक व पारिवारिक रंजिश बताई गई। पुलिस जांच में नाम आने के बाद संजीव सिंह को गिरफ्तार किया गया और तभी से वे जेल में बंद थे।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश
लंबे समय से चल रही कानूनी लड़ाई के बीच सुप्रीम कोर्ट ने संजीव सिंह को सशर्त ज़मानत दी है। कोर्ट ने कहा कि मुकदमे की सुनवाई जारी रहेगी, लेकिन जमानत मिलने के बाद भी आरोपी को कोर्ट द्वारा तय शर्तों का पालन करना होगा।
राजनीतिक हलचल तेज
संजीव सिंह को ज़मानत मिलने के बाद झारखंड की राजनीति में हलचल तेज हो गई है। झरिया और धनबाद में उनके समर्थकों में खुशी की लहर है। कई स्थानों पर पटाखे फोड़कर और मिठाई बांटकर समर्थकों ने अपनी खुशी का इज़हार किया।
परिवार में तनाव
यह मामला केवल राजनीति का नहीं बल्कि एक ही परिवार के भीतर चले आ रहे विवाद का भी है। संजीव सिंह और नीरज सिंह दोनों रिश्ते में चचेरे भाई थे, लेकिन वर्षों से चली आ रही राजनीतिक प्रतिस्पर्धा ने इस रिश्ते को दुश्मनी में बदल दिया था।
आगे क्या?
ज़मानत मिलने के बावजूद संजीव सिंह के लिए कानूनी लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है। मामले की सुनवाई अभी भी निचली अदालत में जारी है और दोषी या बरी होने का फैसला आने में समय लग सकता है।