जोहार हिंदुस्तान | नई दिल्ली : मोदी सरकार ने युवाओं के भविष्य और समाज के हित में एक बड़ा फैसला लिया है। लंबे समय से विवादों में घिरे फैंटेसी स्पोर्ट्स ऐप Dream11 ने अपने सभी पेड कॉन्टेस्ट बंद कर दिए हैं। यह कदम सरकार द्वारा बनाए गए Online Gaming Regulation Law 2025 के तहत उठाया गया है। कुल मिलाकर मोदी सरकार का यह फैसला युवाओं के भविष्य, समाज और देश के हित में मील का पत्थर साबित होगा। Dream11 का माया जाल अब टूट चुका है, और लाखों युवा एक गलत रास्ते से बच पाएंगे।
क्यों था Dream11 विवादों में?
Dream11 जैसे फैंटेसी गेमिंग ऐप युवाओं को जल्दी अमीर बनने का लालच देते थे। शुरुआत में लोग थोड़े पैसे जीतकर आकर्षित हो जाते थे, लेकिन बाद में लाखों रुपए हारकर कर्ज और आर्थिक तंगी में फंस जाते थे।
कई युवाओं ने घर-परिवार से उधार लिया पैसा गवां दिया।
नौकरीपेशा और छात्र भी इसमें डूब गए।
कई राज्यों से आत्महत्या की खबरें तक सामने आईं।
सोशल मीडिया और कोर्ट में भी इस ऐप के खिलाफ आवाज़ उठती रही। इसे ऑनलाइन सट्टेबाज़ी का नया रूप बताया गया।
सरकार का सख्त कदम
इन गंभीर शिकायतों और समाज पर पड़ रहे असर को देखते हुए केंद्र सरकार ने नया कानून लागू किया – Online Gaming Regulation Law 2025 इस कानून का मकसद है ।
1. युवाओं को जुए और सट्टेबाज़ी जैसे खतरनाक खेलों से बचाना।
2. गेमिंग कंपनियों की गतिविधियों पर निगरानी रखना।
3. सिर्फ मनोरंजन और स्किल बेस्ड गेमिंग को अनुमति देना।
Dream11 की सफाई
सरकार के दबाव और नए नियम लागू होने के बाद Dream11 ने बयान जारी किया।
कंपनी ने कहा..
“हम हमेशा कानून का सम्मान करते आए हैं और आगे भी सरकार के सभी नियमों का पालन करेंगे। अब हम केवल फ्री-टू-प्ले सोशल गेम्स के रूप में काम करेंगे।”
इस फैसले से अब Dream11 पर केवल मनोरंजन आधारित मुफ्त गेम ही उपलब्ध रहेंगे, जिनमें पैसे हारने या जीतने का खेल नहीं होगा।
युवाओं और समाज को बड़ा लाभ
मोदी सरकार का यह कदम युवाओं के लिए एक सकारात्मक बदलाव लेकर आया है।
लाखों परिवार अब आर्थिक संकट से बचेंगे।
युवा पढ़ाई, रोजगार और सही दिशा में आगे बढ़ सकेंगे।
समाज में जुए जैसी बुराई पर नकेल कसी जाएगी।
विशेषज्ञों का कहना है कि यह सिर्फ Dream11 तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि सभी ऑनलाइन गेमिंग कंपनियों को अपनी पॉलिसी बदलनी होगी।
जनता की राय
इस फैसले का सोशल मीडिया पर भी जबरदस्त स्वागत हो रहा है। कुछ लोग इसे “युवाओं का रक्षक कानून” बता रहे हैं। कई परिवारों ने कहा कि इस कानून ने “हमारे बच्चों को बचा लिया।”