जोहार हिंदुस्तान | उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले के पिलखुवा कोतवाली क्षेत्र के परतापुर गांव में तीन मुस्लिम युवकों पर भीड़ द्वारा किए गए निर्मम हमले ने प्रदेश की कानून-व्यवस्था और सांप्रदायिक सौहार्द पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
भीम आर्मी प्रमुख व आजाद समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और नगीना से लोकसभा सांसद चंद्रशेखर आजाद ने इस घटना की कड़ी निंदा की है। उन्होंने कहा कि यह हमला केवल युवकों पर नहीं, बल्कि हमारे संविधान में निहित धार्मिक स्वतंत्रता और इंसानियत की आत्मा पर सीधा वार है।
हापुड़ की इस घटना ने प्रदेश में सांप्रदायिक सौहार्द और सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। अब देखने वाली बात यह होगी कि उत्तर प्रदेश सरकार इस मामले में कितनी त्वरित और सख्त कार्रवाई करती है।
पीड़ितों का आरोप
पीड़ित युवकों का कहना है कि भीड़ ने उनसे पहले उनका नाम पूछा और धार्मिक पहचान करने के बाद उन पर हमला कर दिया। इस दौरान उन्हें बुरी तरह पीटा गया और जबरन “जय श्रीराम” के नारे लगवाए गए। हमले में युवक वसीम गंभीर रूप से घायल हुआ है, जिसकी हालत फिलहाल नाज़ुक बताई जा रही है।
चंद्रशेखर आजाद का बयान
चंद्रशेखर आजाद ने कहा…
यह घटना केवल एक आपराधिक कृत्य नहीं है, बल्कि पूरे समाज को डराने और धार्मिक आधार पर नफ़रत फैलाने की सोची-समझी साजिश है। इंसान को उसकी पहचान के आधार पर पीटना और उससे जबरन धार्मिक नारे लगवाना लोकतंत्र और संविधान की आत्मा पर चोट है।उन्होंने सीधे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से सवाल किया कि जरा सोचिए, निर्दोष युवकों को सड़क पर रोककर पीटना और जबरन धार्मिक नारे लगवाना — यह किस तरह का समाज बना रहे हैं?
भीम आर्मी चीफ की मांगें
चंद्रशेखर आजाद ने उत्तर प्रदेश सरकार और प्रशासन से तत्काल कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने चार मुख्य बिंदुओं पर ज़ोर दिया है।
1. गंभीर रूप से घायल वसीम के बेहतर इलाज की तत्काल व्यवस्था की जाए।
2. हमले में शामिल सभी दोषियों की जल्द गिरफ्तारी कर उन पर कठोर धाराओं में मुकदमा दर्ज हो।
3. पीड़ित परिवारों को सुरक्षा, मुआवज़ा और न्याय मिले।
4. प्रदेश में फैलाए जा रहे सांप्रदायिक आतंक और नफ़रत की राजनीति पर तुरंत रोक लगाई जाए।
समाज और राजनीति पर असर
यह घटना उत्तर प्रदेश की राजनीति में बड़ा मुद्दा बन सकती है। विपक्ष लगातार आरोप लगा रहा है कि राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति बिगड़ चुकी है और सांप्रदायिक ताकतें खुलेआम सक्रिय हैं।
चंद्रशेखर आजाद ने इसे केवल तीन युवकों का मुद्दा न बताते हुए कहा कि यह सवाल हर उस नागरिक का है जो संविधान में भरोसा रखता है और इंसानियत की रक्षा करना चाहता है।