जोहार हिंदुस्तान डेस्क | नई दिल्ली : देश को झकझोर देने वाले “नीले ड्रम कांड” की गूंज अब कोर्टरूम से निकलकर कानूनी शिक्षा के गलियारों तक पहुंच गई है। LLB की परीक्षा में इस हत्याकांड को केस स्टडी के तौर पर शामिल करते हुए यह प्रश्न पूछा गया कि.. “क्या साहिल और मुस्कान को मृत्युदंड दिया जा सकता है?”
इस सवाल ने न सिर्फ छात्रों को चौंकाया, बल्कि यह भी दिखा दिया कि यह मामला कानूनी दृष्टिकोण से कितना जटिल और विचारणीय बन चुका है।
क्या है नीले ड्रम कांड?
मेरठ में कुछ महीने पहले एक शव एक नीले रंग के ड्रम में बंद मिला था, जिसे प्लास्टिक से पैक कर फेंका गया था। जांच में सामने आया कि इस सोची-समझी हत्या में साहिल और उसकी प्रेमिका मुस्कान का हाथ था। हत्या के पीछे प्रेम, धोखा, लालच और साजिश की जटिल कहानी सामने आई। आरोप है कि दोनों ने मिलकर योजनाबद्ध तरीके से हत्या की और सबूत मिटाने की भी कोशिश की।
परीक्षा में सवाल क्यों महत्वपूर्ण है?
LLB परीक्षा में पूछा गया यह प्रश्न भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 302 (हत्या), धारा 120B (षड्यंत्र), धारा 201 (सबूत मिटाना) आदि से जुड़ा है।
यह सवाल छात्रों को मृत्युदंड बनाम आजीवन कारावास जैसे संवेदनशील विषयों पर कानूनी और नैतिक दृष्टिकोण से सोचने पर मजबूर करता है।
क्या मृत्युदंड संभव है?
कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार.. भारतीय कानून में मृत्युदंड तभी दिया जा सकता है जब अपराध “दुर्लभतम मामलों में से दुर्लभ” (rarest of the rare) की श्रेणी में आता हो।
यदि आरोप साबित होते हैं और यह प्रमाणित होता है कि हत्या पूरी तरह पूर्व नियोजित, अमानवीय और निर्मम थी, तो अदालत मृत्युदंड पर विचार कर सकती है।
हालांकि, अंतिम निर्णय अदालत की विवेकाधीन शक्ति पर निर्भर करेगा और यह दोनों आरोपियों की मानसिक स्थिति, सामाजिक पृष्ठभूमि और अपराध की परिस्थितियों पर भी आधारित होगा।
कानूनी शिक्षा में बढ़ती संवेदनशीलता
LLB जैसे पाठ्यक्रमों में इस तरह के समकालीन और संवेदनशील मुद्दों को प्रश्नों के रूप में शामिल करना एक नई पहल है। यह न केवल छात्रों की सोचने की क्षमता और तर्कशक्ति को बढ़ाता है, बल्कि उन्हें व्यवहारिक दुनिया की पेचीदगियों से भी जोड़ता है।