जोहार हिंदुस्तान | रांची : भारत की स्वतंत्रता संग्राम की गाथा में कई ऐसे वीर सपूतों के नाम दर्ज हैं, जिनकी वीरता और बलिदान आज भी लोगों को प्रेरित करती है। इन्हीं महान क्रांतिकारियों में से एक हैं वीर शहीद शेख भिखारी, जिनका जन्म 2 अक्टूबर 1819 को हुआ था। वह केवल एक योद्धा ही नहीं, बल्कि संगठन और नेतृत्व का ऐसा प्रतीक थे जिन्होंने 1857 की क्रांति को झारखंड की धरती पर नई ऊर्जा दी।
शेख भिखारी का योगदान
1857 के स्वतंत्रता संग्राम में शेख भिखारी ने टिकैत उमराव सिंह के साथ मिलकर अंग्रेजों के खिलाफ मोर्चा संभाला।
उन्होंने अंग्रेजी सेना की गतिविधियों को रोकने के लिए घने जंगलों में पेड़ों को गिराकर रास्ता बंद किया, जिससे अंग्रेजों की सेना आगे नहीं बढ़ पाई।
उनकी रणनीतियों और साहसिक निर्णयों ने हजारों लोगों को प्रेरित किया। इतिहासकार मानते हैं कि शेख भिखारी और उनकी सेना ने हजारों अंग्रेजों को मार गिराया था।
शेख भिखारी की गिरफ्तारी और शहादत
1857 की क्रांति के बाद अंग्रेजों ने शेख भिखारी और टिकैत उमराव सिंह को पकड़ लिया। 8 जनवरी 1858 को रांची के चुट्टूपालू घाटी में दोनों को फांसी दी गई। आज भी वह पेड़ सुरक्षित है, जिस पर इन महान स्वतंत्रता सेनानियों को लटकाया गया था।
उनकी शहादत ने झारखंड और छोटानागपुर के नौजवानों को आज़ादी की लड़ाई में कूद पड़ने के लिए प्रेरित किया।
क्रांति की चिंगारी
शेख भिखारी की फौज में रामगढ़ रेजीमेंट के सैनिक भी शामिल हो गए, जिन्होंने अपने अंग्रेज अफसर को मार गिराया था।
नादिर अली हवलदार और रामविजय सिपाही ने रामगढ़ रेजीमेंट छोड़ दी और जगन्नाथपुर में शेख भिखारी की सेना से जुड़ गए।
इसके बाद रांची, चाईबासा और संथाल परगना तक स्वतंत्रता संग्राम की आग फैल गई।
झारखंड का गर्व
शेख भिखारी झारखंड की आन-बान और शान हैं। उनकी वीरता और बलिदान ने न केवल राज्य को गौरवान्वित किया, बल्कि पूरे भारत की स्वतंत्रता संग्राम की नींव को मजबूत किया।
वंशजों की मौजूदा स्थिति
आज शेख भिखारी के वंशज अपने पैतृक गांव खुदिया लोटवा (झारखंड) में रहते हैं। दुर्भाग्यवश, उन्हें वह सम्मान और सरकारी सहायता अब तक नहीं मिल पाई है जिसकी वे हकदार हैं। परिवार आर्थिक तंगी और रोजगार की कमी से जूझ रहा है। शहीद शेख़ भिखारी की वंशज इंतेशाम अली लगातार सामाजिक सेवा में समर्पित रहकर निस्वार्थ भाव से लोगों की सेवा कर रही है।
वीर शहीद शेख भिखारी भारत के उन क्रांतिकारियों में शामिल हैं, जिनकी वीरता और शहादत इतिहास में अमर है। झारखंड और भारत के लोगों के लिए उनका जीवन प्रेरणा का स्रोत है। आज आवश्यकता है कि सरकार और समाज मिलकर उनके वंशजों को सम्मानजनक जीवन दें और शेख भिखारी की गाथा को नई पीढ़ी तक पहुंचाएं।