जोहार हिंदुस्तान : लोहरदगा जिले का सदर अस्पताल, जो आम जनता के लिए सुलभ और सस्ता इलाज उपलब्ध कराने के लिए बनाया गया है, आज निजी अस्पतालों के दलालों और बिचौलियों का अड्डा बनता जा रहा है। यहां रोज़ाना ग्रामीण इलाकों से आने वाले मरीजों को बहला-फुसलाकर निजी अस्पतालों में शिफ्ट किया जा रहा है, जहां उनसे इलाज के नाम पर मोटी रकम वसूली जाती है।
इलाज मुफ्त का दावा, लेकिन जेब से लाखों उड़ाए जाते हैं
जानकारी के मुताबिक, सदर अस्पताल में इलाज संभव होने के बावजूद भी मरीजों को यह कहकर निजी अस्पताल ले जाया जाता है कि “यहां सुविधा नहीं है” “यहां सही इलाज नहीं हो पाएगा”, या “तुरंत इलाज नहीं मिलेगा”।
दलाल निजी अस्पतालों की ओर से भेजे गए वाहनों से मरीजों को उठाकर सीधे प्राइवेट क्लिनिक पहुंचाते हैं। वहां आयुष्मान भारत योजना का हवाला दिया जाता है, लेकिन बाद में योजना के नाम पर फर्जी बिल बनाकर लाखों की वसूली की जाती है, साथ ही मरीजों से दवाओं, जांच और अन्य खर्चों के नाम पर भी बड़ी रकम ली जाती है।
ये है ताजा मामला
शुक्रवार को एक युवक का पांव टूट गया। परिजन उसे लेकर सीधे सदर अस्पताल पहुंचे, जहां प्राथमिक उपचार हो रहा था। इसी बीच वहां मौजूद दलालों को इसकी भनक लगी और उन्होंने परिजनों को बहकाकर कहा कि “यहां सुविधा नहीं है”, “जल्दबाज़ी जरूरी है” और उन्हें एक निजी अस्पताल की कार में बैठाकर ले जाया गया।
सालों से जारी है खेल, प्रशासन मौन
स्थानीय सूत्रों की मानें तो ऐसा कोई पहला मामला नहीं है। सदर अस्पताल में दलाल वर्षों से सक्रिय हैं। कई बार शिकायतों के बाद भी जिला प्रशासन द्वारा कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई है। यही कारण है कि इन बिचौलियों का नेटवर्क दिन पर दिन मजबूत होता जा रहा है।
इन दलालों के पास अपनी गाड़ी, अस्पताल से जुड़े कर्मचारी, और निजी क्लिनिक से सेटिंग होती है, जिसके ज़रिए वे न केवल मरीजों को बरगलाते हैं, बल्कि सरकारी स्वास्थ्य प्रणाली की छवि को भी खराब कर रहे हैं।
आयुष्मान भारत योजना में करोड़ों की ठगी का शक
लोहरदगा जिले में आयुष्मान भारत योजना के नाम पर निजी अस्पतालों द्वारा करोड़ों रुपये की वसूली और फर्जीवाड़े की बात भी समय-समय पर सामने आती रही है। लेकिन अब तक इस पर भी कोई बड़ी प्रशासनिक जांच या कार्रवाई देखने को नहीं मिली है। यही कारण है कि इन निजी अस्पतालों का मनोबल दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है।
ऐसे सुधरेंगी व्यवस्था
सदर अस्पताल में सक्रिय दलालों की पहचान कर तत्काल गिरफ्तारी हो।
निजी अस्पतालों के खिलाफ जांच बैठाई जाए, जिन्होंने आयुष्मान के नाम पर फर्जी बिलिंग की हो।
सदर अस्पताल में निजी वाहनों के प्रवेश पर पूर्ण रोक लगे।
सभी मामलों की स्वतंत्र मेडिकल व ऑडिट जांच कर दोषियों पर कानूनी कार्रवाई की जाए।