जोहार हिंदुस्तान | कांग्रेस पार्टी द्वारा चलाया जा रहा “संगठन सृजन अभियान” पूरे देश में संगठन को जमीनी स्तर पर मज़बूत करने का प्रयास है, लेकिन झारखंड राज्य और खासकर लोहरदगा जिला में यह अभियान अपने मूल उद्देश्य से भटकता नजर आ रहा है। जिन गांवों और पंचायतों तक कांग्रेस की विचारधारा पहुंचानी थी, वहां महज पुराने ढर्रे पर खानापूर्ति की जा रही है।
पुराने चेहरों को फिर से थमाई जा रही है जिम्मेदारी
संगठन सृजन का मूल उद्देश्य था – नए, ऊर्जावान और विचारधारा से प्रेरित कार्यकर्ताओं को पार्टी से जोड़ना। लेकिन लोहरदगा में जिन लोगों को पंचायत और प्रखंड स्तर की जिम्मेदारी सौंपी जा रही है, वे वही पुराने कार्यकर्ता हैं जो वर्षों से संगठन में रहे हैं या फिर जो दूसरी पार्टी से कांग्रेस में मौके के तहत शामिल हुए।
कई गुटों में कांग्रेस – संगठन से पहले एकजुटता की दरकार
लोहरदगा जिला कांग्रेस लंबे समय से कई गुटों में बंटी हुई है। हर गुट अपने लोगों को संगठन सृजन के तहत जिम्मेदारी दिलवाने में जुटा है। इसका नतीजा यह है कि पंचायतों और प्रखंडों में योग्यता या जनसमर्थन के आधार पर नहीं, बल्कि गुटीय समीकरणों के हिसाब से नियुक्तियाँ की जा रही हैं। ऐसे में ज़मीनी कार्यकर्ता हतोत्साहित हैं और युवाओं में निराशा है।
कांग्रेस की सोच से नहीं, सुविधा से चुने जा रहे कार्यकर्ता
अभियान का एक और मकसद था कि नए चेहरों को कांग्रेस की विचारधारा से जोड़कर उन्हें प्रशिक्षित किया जाए, ताकि वे गांव-गांव में पार्टी की सोच और नीतियों को ले जा सकें। लेकिन लोहरदगा समेत झारखंड के कई जिलों में यह प्रक्रिया महज एक औपचारिकता बन गई है। न कोई उचित प्रशिक्षण, न संवाद, और न ही निगरानी — संगठन सृजन एक रस्म अदायगी में तब्दील हो चुका है।
राष्ट्रीय नेतृत्व तक पहुंची जानकारी, जल्द कार्रवाई संभव
विश्वस्त सूत्रों के मुताबिक, झारखंड कांग्रेस में संगठन सृजन को लेकर हो रही खानापूर्ति और गुटबाजी की शिकायत पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व तक पहुंच चुकी है। बताया जा रहा है कि आलाकमान इस मामले को गंभीरता से ले रहा है और जल्द ही राज्य इकाई में इसको लेकर संगठनात्मक फेरबदल और निरीक्षण टीम भेजी जा सकती है।
सवाल उठते हैं…
क्या संगठन सृजन सिर्फ कागज़ों पर होगा या ज़मीनी बदलाव भी दिखेगा?
क्या कांग्रेस गुटबाजी से बाहर निकलकर एकजुट हो पाएगी?
क्या पार्टी में नए विचार और नेतृत्व को मौका मिलेगा?
झारखंड में कांग्रेस को मज़बूत करने के लिए चलाया गया संगठन सृजन अभियान लोहरदगा जैसे जिलों में अपने लक्ष्य से भटक चुका है। जब तक स्थानीय नेतृत्व निष्ठा, पारदर्शिता और विचारधारा के आधार पर संगठन को पुनर्गठित नहीं करता, तब तक कांग्रेस की जड़ें मज़बूत होना मुश्किल है।
कांग्रेस को अपने ही घर में झांकने और आत्ममंथन करने की ज़रूरत है – क्योंकि संगठन सृजन सिर्फ नियुक्तियों का खेल नहीं, बल्कि आगामी राजनीतिक भविष्य की बुनियाद है।