जोहार हिंदुस्तान | रांची: झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड आंदोलन के प्रणेता दिशोम गुरु शिबू सोरेन के निधन के बाद पहली बार मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सोशल मीडिया पर एक बेहद भावुक पोस्ट साझा किया है। इस पोस्ट में उन्होंने पिता के जाने के बाद की अवर्णनीय पीड़ा, संघर्ष, प्रेरणा और झारखंड के प्रति संकल्प को शब्दों में पिरोया है।
सीएम हेमंत सोरेन ने लिखा
“मैं अपने जीवन के सबसे कठिन दिनों से गुजर रहा हूँ। मेरे सिर से सिर्फ पिता का साया नहीं गया, झारखंड की आत्मा का स्तंभ चला गया।”
मुख्यमंत्री ने अपने पिता को केवल “बाबा” नहीं, बल्कि विचारों की जड़, संघर्ष का चेहरा, और झारखंड की धूप से बचाने वाली छाया बताया। उन्होंने कहा कि शिबू सोरेन का जीवन नेमरा गांव की गरीबी से शुरू होकर, झारखंड के करोड़ों वंचितों की आवाज़ बनने तक का एक अद्भुत संघर्ष रहा है।
“दिशोम गुरु” की उपाधि जनता के दिल से निकली थी
सीएम ने याद किया कि जब वे बचपन में पूछते थे, “बाबा, आपको लोग दिशोम गुरु क्यों कहते हैं?” तो शिबू सोरेन मुस्कुराते हुए कहते थे.. “क्योंकि बेटा, मैंने सिर्फ उनका दुःख समझा… और उनकी लड़ाई अपनी बना ली।”
हेमंत सोरेन लिखते हैं कि ‘दिशोम’ का मतलब समाज और ‘गुरु’ का मतलब मार्गदर्शक होता है। बाबा ने केवल रास्ता नहीं दिखाया, बल्कि हजारों झारखंडियों को चलना सिखाया.. “अगर अन्याय के खिलाफ खड़ा होना अपराध है, तो मैं बार-बार दोषी बनूंगा”
मुख्यमंत्री ने कहा कि उनके पिता का संघर्ष किसी किताब से नहीं समझा जा सकता। वो उनके पसीने, उनकी आवाज़, और उनकी फटी एड़ियों में बसता था। उन्होंने याद किया कि किस तरह उन्होंने हल चलाते हुए, खेतों में काम करते हुए और जनता के साथ कंधे से कंधा मिलाकर लड़ते देखा।
“झारखंड मेरे लिए कुर्सी नहीं, मेरे लोगों की पहचान है”
सीएम हेमंत सोरेन ने कहा कि जब झारखंड राज्य बना, शिबू सोरेन ने इसे सत्ता नहीं, बल्कि झारखंडियों की पहचान की जीत माना। आज उनके न रहने पर मुख्यमंत्री ने संकल्प लिया कि उनका संघर्ष अधूरा नहीं रहेगा..
“अब आप आराम कीजिए बाबा। आपने अपना धर्म निभा दिया। अब हमें चलना है आपके नक्शे-कदम पर।” एक बेटा नहीं, पूरे राज्य का वादा
मुख्यमंत्री ने अपनी संदेश का अंत इन शब्दों से किया
“मैं झारखंड को झुकने नहीं दूंगा, आपके नाम को मिटने नहीं दूंगा।झारखंड आपका कर्ज़दार रहेगा। मैं, आपका बेटा, आपका वचन निभाऊंगा। वीर शिबू ज़िंदाबाद, दिशोम गुरु अमर रहें। जय झारखंड, जय जय झारखंड।”
यह पोस्ट ना सिर्फ एक बेटे की भावनाओं को दर्शाती है, बल्कि एक नेता की प्रतिबद्धता और झारखंड के प्रति उसकी जिम्मेदारी को भी बयां करती है।