जोहार हिंदुस्तान | भारत की आज़ादी की गाथा में कई नाम सुनहरे अक्षरों में लिखे गए, लेकिन कुछ योगदान इतिहास के पन्नों में दबा दिए गए। ऐसा ही एक नाम है सुरैय्या तैय्यब जी का, ये वो मुस्लिम स्वतंत्रता सेनानी, जिन्होंने भारत के राष्ट्रीय ध्वज तिरंगे का डिज़ाइन तैयार किया। सुरैय्या तैय्यब जी का योगदान सिर्फ़ तिरंगे तक सीमित नहीं, बल्कि यह हमारे देश के धर्मनिरपेक्ष चरित्र और विविधता का भी प्रतीक है। आज़ादी के इस अमर प्रतीक के पीछे की असली कहानी हर भारतीय को जाननी चाहिए।
जन्म और पृष्ठभूमि
सुरैय्या तैय्यब जी का जन्म 1919 में हैदराबाद (आंध्र प्रदेश) के एक प्रतिष्ठित मुस्लिम परिवार में हुआ। वह प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी बदरुद्दीन तैय्यब जी (1907–1995) की पत्नी थीं। सुरैय्या न केवल स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय थीं, बल्कि एक प्रतिभाशाली कलाकार भी थीं।
तिरंगे का डिज़ाइन
इतिहास की कई किताबों में तिरंगे के डिज़ाइन का श्रेय पिंगली वेंकैया को दिया जाता है, लेकिन ब्रिटिश इतिहासकार ट्रेवोर रॉयल ने अपनी किताब The Last Days of the Raj में लिखा है कि भारत के राष्ट्रीय ध्वज का अंतिम डिज़ाइन सुरैय्या तैय्यब जी ने तैयार किया था।
17 जुलाई 1947 को इस डिज़ाइन को आधिकारिक मंजूरी मिली। यह वही तिरंगा है जो आज़ादी के बाद से भारत की शान बना हुआ है।
आख़िरी पड़ाव
सुरैय्या तैय्यब जी का निधन 1978 में मुंबई में हुआ। आज भी बहुत कम लोग जानते हैं कि तिरंगे के पीछे की यह ऐतिहासिक महिला कौन थीं।