जोहार हिंदुस्तान डेस्क | भारत और रूस की बढ़ती दोस्ती और खासकर भारत के द्वारा रूसी तेल की लगातार खरीद से नाराज़ अमेरिका ने भारत पर आर्थिक हमला बोलते हुए बड़ा फैसला लिया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत से आयात होने वाले उत्पादों पर 25% अतिरिक्त टैरिफ लगाने की घोषणा की है। इस तरह भारत पर कुल टैरिफ की दर अब 50% तक पहुंच गई है।
21 दिनों में लागू होगा नया टैरिफ
ट्रंप द्वारा साइन किए गए कार्यकारी आदेश के अनुसार, यह नया टैरिफ 27 अगस्त 2025 से प्रभाव में आएगा।
हालांकि, वे वस्तुएं जो इस तारीख से पहले भारत से रवाना हो चुकी होंगी और 17 सितंबर 2025 से पहले अमेरिका पहुंच जाएंगी, उन्हें नए शुल्क से छूट मिलेगी।
भारत ने दी कड़ी प्रतिक्रिया
अमेरिका के इस फैसले पर भारत सरकार की तीखी प्रतिक्रिया सामने आई है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने आधिकारिक बयान में कहा.. “हाल के दिनों में, अमेरिका ने रूस से भारत के तेल आयात को निशाना बनाया है। हमने इन मुद्दों पर अपनी स्थिति पहले ही स्पष्ट कर दी है, जिसमें यह तथ्य भी शामिल है कि हमारे आयात बाज़ार के कारकों पर आधारित हैं और भारत के 1.4 अरब लोगों की ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के समग्र उद्देश्य से किए जाते हैं… हम दोहराते हैं कि ये कदम अनुचित, अनुचित और अविवेकपूर्ण हैं। भारत अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएगा।”
भारत ने साफ किया है कि ऊर्जा सुरक्षा उसके लिए सर्वोच्च प्राथमिकता है, और अंतरराष्ट्रीय दबावों के बावजूद वह अपने हितों से समझौता नहीं करेगा।
रूस से रिश्ते बने अमेरिका की चुभन
व्हाइट हाउस का कहना है कि यह फैसला भारत द्वारा रूस से लगातार सस्ते क्रूड ऑयल की खरीद के जवाब में लिया गया है। ट्रंप प्रशासन का मानना है कि इससे अमेरिकी तेल कंपनियों को नुकसान हो रहा है और यह अमेरिका के वैश्विक रणनीतिक हितों के खिलाफ है।
क्या कहा आदेश में?
नए टैरिफ आदेश में कहा गया है कि यह शुल्क अन्य सभी टैक्स और ड्यूटीज़ के अतिरिक्त होगा, हालांकि कुछ विशिष्ट मामलों में छूट की संभावना रखी गई है।
आदेश के हाइलाइट्स
ट्रंप का आदेश: भारत पर 25% अतिरिक्त टैरिफ, अब कुल 50% शुल्क
27 अगस्त 2025 से प्रभावी
भारत ने अमेरिका के कदम को अविवेकपूर्ण बताया
ऊर्जा सुरक्षा को बताया सर्वोपरि
राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए हर कदम उठाने का ऐलान
कूटनीति से टकराव तक?
विशेषज्ञों का मानना है कि यह अमेरिका का कदम चुनावी रणनीति का भी हिस्सा हो सकता है, जहां ट्रंप “अमेरिका फर्स्ट” नीति को और आक्रामक रूप से आगे बढ़ा रहे हैं।
वहीं भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि वह अपनी विदेश नीति और व्यापारिक निर्णय अपने राष्ट्रीय हितों के आधार पर ही करेगा।