जोहार हिंदुस्तान | पटना : बिहार की राजनीति में एक बार फिर बड़ा धमाका हुआ है। आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव और पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव ने साफ शब्दों में घोषणा की है कि वह अब कभी भी राष्ट्रीय जनता दल (RJD) में वापसी नहीं करेंगे।
तेजप्रताप ने मंच से ऐलान करते हुए कहा मैं गीता और भगवान श्रीकृष्ण की कसम खाता हूं, अब चाहे कुछ भी हो जाए, दोबारा आरजेडी में नहीं जाऊंगा। भले ही मुझे बुलाया जाए, लेकिन अब मैं वहां नहीं लौटूंगा।
क्यों दिया ऐसा बयान?
तेजप्रताप यादव का यह बयान ऐसे समय में आया है जब बिहार की राजनीति चुनावी मोड में प्रवेश कर चुकी है और सभी दल अपने-अपने समीकरण साधने में जुटे हैं। लंबे समय से आरजेडी और तेजप्रताप यादव के बीच मतभेद की चर्चाएँ चल रही थीं। तेजप्रताप ने कई बार इशारों-इशारों में पार्टी और परिवार से नाराजगी जाहिर की है। अब गीता और भगवान कृष्ण की कसम खाकर उन्होंने यह स्पष्ट कर दिया है कि उनकी आरजेडी से दूरी स्थायी हो गई है।
राजनीतिक महत्व
तेजप्रताप यादव के इस बयान के कई मायने निकाले जा रहे हैं
1. आरजेडी के भीतर परिवारवादी राजनीति और नेतृत्व पर सवाल खड़े हो सकते हैं।
2. तेजप्रताप यादव का खुला विरोध पार्टी की चुनावी रणनीति पर असर डाल सकता है।
3. यह भी चर्चा है कि तेजप्रताप यादव भविष्य में कोई नई राजनीतिक पारी शुरू कर सकते हैं या किसी अन्य दल के साथ जुड़ सकते हैं।
जनता और राजनीतिक गलियारों में चर्चा
तेजप्रताप यादव के इस बयान के बाद बिहार की सियासत गर्मा गई है। समर्थक मानते हैं कि तेजप्रताप अपनी स्वतंत्र पहचान बनाने की कोशिश कर रहे हैं। वहीं विरोधियों का कहना है कि यह केवल राजनीतिक दबाव बनाने की रणनीति है।
तेजप्रताप यादव ने एक बार फिर साफ कर दिया है कि उनके और आरजेडी के बीच अब कोई मेल-मिलाप नहीं होगा।
चुनावी माहौल के बीच उनका यह बयान न केवल आरजेडी के लिए चुनौती है, बल्कि बिहार की राजनीति में नई हलचल भी पैदा कर सकता है।