जोहार हिंदुस्तान | नई दिल्ली : केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राजनीति में आपराधिक आरोपों और भ्रष्टाचार के मामलों पर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा कि यदि किसी जनप्रतिनिधि पर 5 साल से अधिक सजा वाले अपराध का आरोप साबित होता है और उसे जेल भेजा जाता है, तो यदि वह 30 दिनों के भीतर जमानत (Bail) नहीं ले पाता है, तो उसे पद छोड़ना पड़ेगा।
अमित शाह का यह बयान साफ संकेत देता है कि अब राजनीति में गंभीर अपराधों और भ्रष्टाचार के आरोपियों को जेल से सत्ता चलाने की इजाज़त नहीं होगी। सवाल यह है कि क्या इस दिशा में ठोस कानूनी कदम उठाए जाएंगे या यह सिर्फ एक राजनीतिक संदेश बनकर रह जाएगा।
छिटपुट आरोपों पर नहीं होगा असर
अमित शाह ने स्पष्ट किया कि छोटे-मोटे आरोप या छिटपुट मुकदमे किसी मंत्री, मुख्यमंत्री (CM) या प्रधानमंत्री (PM) को पद छोड़ने के लिए बाध्य नहीं करेंगे। लेकिन जिन पर गंभीर आरोप हैं और जिनकी सजा 5 साल से ज्यादा तय है, ऐसे नेता जेल में रहते हुए सत्ता की कुर्सी पर काबिज नहीं रह सकते।
शाह का सवाल
गृह मंत्री ने तीखा सवाल उठाते हुए कहा..
“जिन पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं, या जिन्हें पाँच साल से ज्यादा की सजा का सामना करना पड़ रहा है… क्या वे मंत्री, मुख्यमंत्री या प्रधानमंत्री जेल में बैठकर सरकार चलाएँगे? यह कितना उचित है?”
भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस
अमित शाह ने कहा कि भ्रष्टाचार और गंभीर अपराधों पर सरकार की नीति पूरी तरह Zero Tolerance की है। उन्होंने दोहराया कि जनता का भरोसा बनाए रखने के लिए राजनीति से अपराध और भ्रष्टाचार को खत्म करना बेहद ज़रूरी है।
राजनीतिक संदर्भ
विशेषज्ञों का मानना है कि शाह का यह बयान आने वाले चुनावों से पहले भ्रष्टाचार के मुद्दे पर राजनीतिक माहौल को गरमाने वाला है। विपक्षी दलों के कई नेता भ्रष्टाचार और आपराधिक मामलों में घिरे हैं, ऐसे में शाह का यह संदेश राजनीतिक तौर पर भी अहम माना जा रहा है।