जोहार हिंदुस्तान | उत्तर प्रदेश के जालौन जिले में 5 वर्षीय मासूम बच्ची से दुष्कर्म के मामले में विशेष POCSO अदालत ने ऐतिहासिक निर्णय सुनाया। आरोपी 35 वर्षीय अनिल कुमार अहिरवार को आजीवन कारावास (उम्रकैद) के साथ-साथ 2 लाख का जुर्माना भी लगाया गया है। यह फैसला घटना के 46 दिन के भीतर, यानी 1 सितंबर 2025, को सुनाया गया यह न्यायपालिका की तत्परता का उदाहरण है।
वारदात की पृष्ठभूमि
15 जुलाई 2025 को जालौन जिले में, आरोपी ने बच्ची को बहला-फुसला कर सुनसान जगह ले जाकर उससे दुष्कर्म किया।
पीड़िता के परिवार की शिकायत पर पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए POCSO अधिनियम के तहत FIR दर्ज की और आरोपी को गिरफ़्तार किया।
विस्तृत जांच में मेडिकल, फॉरेंसिक और गवाहों के बयान शामिल थे; चार्जशीट समय पर दाखिल की गई और ट्रायल फास्ट-ट्रैक अदालत में शुरू हुआ।
अदालत ने क्या कहा?
अदालत ने सभी सबूतों को गंभीरता से संज्ञान में लेते हुए आरोपी को दोषी ठहराया।
अदालत की टिप्पणी “इस तरह की घटनाएं समाज की अंतरात्मा को झकझोर देती हैं और ऐसे अपराधियों को समाज में रहने की अनुमति नहीं दी जा सकती।”
उम्रकैद की सज़ा के साथ 2 लाख जुर्माना दिया गया — शिक्षा, चिकित्सा और पीड़ित परिवार की सहायता के लिए।
फैसला क्यों है मिसाल?
सिर्फ 46 दिन में न्याय का संपूर्ण क्रियान्वयन।
दोहरी सज़ा—दंड और आर्थिक दंड—ने एक स्पष्ट संदेश दिया कि जघन्य अपराधों पर कोई सहानुभूति नहीं।
यह फैसला यह बताता है कि तत्काल कार्रवाई और संकल्प से न्याय की गति तेज़ हो सकती है।
न्याय व्यवस्था पर बढ़ा नागरिकों का विश्वास
अधिकारियों के अनुसार यह निर्णय न सिर्फ़ पीड़िता परिवार को न्याय प्रदान करता है, बल्कि समाज को यह संदेश देता है कि बच्चों के साथ होने वाले अपराधों पर कानून सख़्ती से कार्रवाई करता है।
इस फैसले से प्रत्यक्ष संदेश यह गया कि यूपी जैसे संवेदनशील प्रदेशों में न्याय त्वरित और अविलंब मिल सकता है, बशर्ते प्रशासन, पुलिस और न्यायपालिका एकसंघ हों।