नई दिल्ली : भारत की मशहूर बैडमिंटन खिलाड़ी ज्वाला गुट्टा ने ग़ज़ा में जारी मानवीय संकट और हिंसा पर गहरा दुख जताते हुए एक भावनात्मक बयान दिया है। उन्होंने सोशल मीडिया पर अपनी भावनाएं साझा करते हुए कहा कि वह खुद को बेबस, दुखी और टूटा हुआ महसूस कर रही हैं।
ज्वाला गुट्टा का बयान.. “ग़ज़ा के लिए खुद को बहुत बेबस महसूस कर रही हूँ। दर्द, नुकसान और नाइंसाफी, ये हर दिन मेरा दिल तोड़ रही हैं और इंसानियत पर से जो थोड़ा बहुत भरोसा बचा था, वो भी खत्म होता जा रहा है।”
ज्वाला गुट्टा के इस बयान ने सोशल मीडिया पर भावनात्मक लहर पैदा कर दी है। कई यूज़र्स ने उनके इस संवेदनशील दृष्टिकोण की सराहना की, वहीं कुछ लोगों ने ग़ज़ा में हो रहे मानवाधिकार उल्लंघनों पर भारत की चुप्पी को लेकर भी सवाल उठाए।
खेलजगत की मानवता के प्रति आवाज़
यह पहली बार नहीं है जब ज्वाला गुट्टा ने सामाजिक या वैश्विक मुद्दों पर खुलकर अपनी राय रखी हो। वह पहले भी मानवाधिकार, महिला सशक्तिकरण और न्याय जैसे मुद्दों पर मुखर रही हैं। ग़ज़ा पर उनकी यह संवेदना बताती है कि खेल की दुनिया से जुड़े लोग भी अंतरराष्ट्रीय संकटों के प्रति सजग और संवेदनशील हैं।
ज्वाला गुट्टा का यह बयान न सिर्फ ग़ज़ा में जारी त्रासदी की गंभीरता को उजागर करता है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि दुनिया भर में लाखों लोग इस अन्याय के खिलाफ दुखी और चिंतित हैं। जब एक खिलाड़ी मैदान के बाहर भी इंसानियत की बात करता है, तो वह खेल भावना से कहीं बढ़कर एक नैतिक चेतना का परिचायक बन जाता है।