जोहार हिंदुस्तान | चंडीगढ़ : ताज़ा जलप्रलय में पंजाब एक बड़ी आपदा से जूझ रहा है। राज्य के कम से कम 9 जिलों में भीषण बाढ़ आई हुई है, जिससे 1,000 से अधिक गाँव प्रभावित हुए हैं और सरकारी आंकड़े के अनुसार अब-तक 30 लोगों की मौत हो चुकी है। राज्य सरकार ने इसे ‘दशकों में सबसे घनी आबादी को प्रभावित करने वाला प्रदूषण’ बताया है।
पंजाब इस समय एक जल-आपदा चक्र में है और यह अब केवल localized flooding नहीं बल्कि राज्य-स्तरीय तबाही बन चुकी है। मरने वालों की संख्या बढ़ने का खतरा, समूची भोजन सुरक्षा पर संकट और वित्तीय मंदी ने इसे राष्ट्रीय आपात स्थिति बना दिया है।
अब सवाल यह है कि क्या केंद्र और राज्य मिलकर सही और तत्काल राहत प्रदान कर पाएंगे?
और क्या भविष्य में ऐसी त्रासदियों से बचने के लिए दीर्घकालिक योजना (जल प्रबंधन, बाढ़ नियंत्रण, मौसम पूर्वानुमान) बनाई जाएगी?
मुख्य तथ्य जो जानना ज़रूरी है
29–30 मौतें दर्ज हुई हैं, जिसमें Pathankot में सबसे ज्यादा—6—और Amritsar, Barnala, Hoshiarpur, Ludhiana, Mansa और Rupnagar में 3-3 शव मिले। Bathinda, Gurdaspur, Patiala, Mohali और Sangrur में एक-एक मृतक है। वही लगभग 2.56 लाख से अधिक लोग बाढ़ से प्रभावित हुए हैं।
1,044 गाँव गम्भीर रूप से प्रभावित—Gurdaspur (321), Amritsar (88), Fazilka, Ferozepur, Hoshiarpur, Kapurthala सहित कई जिलों में।
15,688 लोग अब तक सुरक्षित स्थानों पर विस्थापित कराए गए हैं, जिनमें Gurdaspur (5,549), Ferozepur (3,321), Fazilka (2,049) और Amritsar (1,700) प्रमुख हैं।
बाढ़ से लगभग 3 लाख एकड़ फसलें बर्बाद हुई हैं—खासकर धान की फसलों को भारी नुकसान।
राहत और बचाव कार्य तेज़ी से जारी है: NDRF, SDRF, सेना, BSF और पुलिस के साथ 1,000 से अधिक रिलीफ़ शिविर स्थापित किए गए हैं, जिसमें सदर अभियंत्रणालय, स्कूल, थाना और सामुदायिक भवन जैसे स्थानों का उपयोग किया जा रहा है।
सरकार की प्रतिक्रिया और राजनीतिक पुकार
मुख्यमंत्री भगवंत मान ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर 60,000 करोड़ केंद्रीय फंड और किसानों को 50,000 प्रति एकड़ मुआवजा देने की मांग की — वर्तमान दर 6,800 अपर्याप्त बताई गई।
पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष, अमरिंदर सिंह राजा वारण्ग ने PM से विशेष राहत पैकेज की मांग की। उन्होंने कहा कि 1,300 गाँव बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित, धान की फसलें बर्बाद, और साउनाधार कृषि अर्थव्यवस्था को भारी चोट पहुंची है।
दुर्दशा का व्यापक आकलन
कीचड़ में दबा फसलों का नुकसान — पंजाब की कृषि-आधारित अर्थव्यवस्था लड़खड़ा रही है। करोड़ों की आर्थिक क्षति, भुखमरी की आशंका, और किसानों-किसान परिवारों का भविष्य अनिश्चित हो गया है। राहत अभियान में स्थानीय युवाओं, नागरिक संस्थाओं, और राजनीतिक संगठनों ने भी सक्रिय हिस्सा लिया है, खाने, पानी और बचाव के लिए कार्यरत हैं।