जोहार हिंदुस्तान | लोहरदगा : झारखंड आंदोलन के प्रणेता, पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड मुक्ति मोर्चा के संस्थापक दिशोम गुरु वीर शिबू सोरेन के निधन पर पूरे झारखंड में शोक की लहर है। इस अपूरणीय क्षति को लेकर झारखंड आंदोलनकारी महासभा, लोहरदगा जिला समिति ने इसे “झारखंड की आत्मा पर गहरा आघात” बताया है।
महासभा ने एक संयुक्त बयान जारी कर कहा कि दिशोम गुरु का जाना सिर्फ एक नेता का नहीं, बल्कि एक युग का अंत है।
6 अगस्त को श्रद्धांजलि सभा का आयोजन
महासभा की ओर से 6 अगस्त (बुधवार) को सुबह 11:00 बजे, लोहरदगा के ब्लॉक मोड़ के समीप स्थित नीरू शांति भगत के आवासीय परिसर में श्रद्धांजलि सभा आयोजित की जाएगी। इसमें जिले के आंदोलनकारी समुदाय के साथ-साथ विभिन्न सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे।
नेताओं का संयुक्त बयान
इस श्रद्धांजलि कार्यक्रम की जानकारी जिला समिति अध्यक्ष अनिल कुमार भगत, कार्यकारी अध्यक्ष अमर किंडो, सचिव विशेषण भगत, उपाध्यक्ष उषा रानी लकड़ा, और कोषाध्यक्ष कृष्णा कुमार ठाकुर ने संयुक्त रूप से दी। उन्होंने जिले के सभी आंदोलनकारियों और नागरिकों से इस सभा में भाग लेने की अपील की है।
नेताओं ने कहा.. “दिशोम गुरु का जीवन संघर्ष, न्याय और सामाजिक चेतना का प्रतीक रहा है। उन्होंने न सिर्फ झारखंड को अलग राज्य का दर्जा दिलाने में ऐतिहासिक भूमिका निभाई, बल्कि सदियों से वंचित आदिवासी समाज की अस्मिता, अधिकार और पहचान की लड़ाई को भी मजबूती से आगे बढ़ाया।”
दिशोम गुरु को याद करेगा झारखंड
श्रद्धांजलि सभा में गुरुजी के जीवन, संघर्ष, आदर्शों और उनके ऐतिहासिक योगदान को याद करते हुए उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किए जाएंगे।
नेताओं ने कहा कि.. “शिबू सोरेन झारखंड के उस जीवंत प्रतीक का नाम है जिसने अन्याय के खिलाफ आवाज बुलंद की और हाशिए पर खड़े समाज को लड़ना सिखाया। उनका जाना एक गहरी पीड़ा है, जिसे शब्दों में व्यक्त नहीं किया जा सकता।”