जोहार हिंदुस्तान डेस्क | साध्वी से यौन शोषण मामले में दोषी डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम को एक बार फिर 40 दिनों की पैरोल मिली है। हरियाणा की रोहतक स्थित सुनारिया जेल में 2017 से सजा काट रहे राम रहीम को अब तक 8 वर्षों में कुल 14 बार पैरोल दी जा चुकी है। यह आंकड़ा अब 377 दिनों तक पहुँच चुका है, जो किसी बलात्कार के दोषी हाई-प्रोफाइल कैदी के लिए असाधारण माना जा रहा है।
377 दिन जेल से बाहर — ये रहा पूरा पैरोल रिकॉर्ड
1 अक्टूबर 2020 1 दिन
2 मई 2021 1 दिन
3 फरवरी 2022 21 दिन
4 जून 2022 30 दिन
5 अक्टूबर 2022 40 दिन
6 जनवरी 2023 40 दिन
7 जुलाई 2023 30 दिन
8 नवंबर 2023 21 दिन
9 जनवरी 2024 60 दिन
10 अगस्त 2024 21 दिन
11 सितंबर 2024 21 दिन
12 जनवरी 2025 30 दिन
13 अप्रैल 2025 21 दिन
14 अगस्त 2025 40 दिन
कुल: 377 दिन जेल के बाहर
बार-बार पैरोल: क्या ये न्याय का मज़ाक है?
राम रहीम को बार-बार मिलने वाली पैरोल पर अब न्यायिक व्यवस्था और राज्य सरकार की मंशा पर सवाल खड़े हो रहे हैं। सवाल यह भी है कि क्या एक बलात्कार के दोषी कैदी को इतनी आसानी से बार-बार रिहा किया जाना संविधान की भावना और पीड़िता के न्याय के साथ धोखा नहीं है?
विशेषज्ञों का मानना है कि “क़ानून सभी के लिए बराबर होना चाहिए, लेकिन बार-बार की यह रियायतें न्याय व्यवस्था की साख पर बड़ा धब्बा हैं।”
क्यों मिल रही है पैरोल?
हरियाणा सरकार और जेल प्रशासन द्वारा अलग-अलग अवसरों पर धार्मिक आयोजनों, बीमारी, पारिवारिक कारण, या ‘अच्छे आचरण’ के आधार पर पैरोल दी जाती रही है। लेकिन विरोधियों का कहना है कि यह सब राजनीतिक लाभ और अनुयायियों के दबाव में किया जा रहा है।
जनता पूछ रही है
क्या यह समान न्याय का उदाहरण है?
क्या आम कैदियों को भी इतनी बार इतनी लंबी पैरोल मिलती है?
एक रेप दोषी को बार-बार समाज में घूमने देना क्या सुरक्षित है?