जोहार हिंदुस्तान : बिहार के पूर्णिया जिले की टीओपी प्रभारी महिला SHO शबाना आज़मी को अपने पिता और दादा को कार्यालय की कुर्सी पर बैठाना भारी पड़ गया है। यह भावनात्मक और सम्मानजनक कदम अब उनके लिए एक विभागीय कार्रवाई का कारण बन गया है।
DIG ने जांच के दिए आदेश, SP को रिपोर्ट सौंपने का निर्देश
पूर्णिया रेंज के पुलिस उपमहानिरीक्षक (DIG) प्रमोद कुमार मंडल ने SHO शबाना आज़मी के इस कृत्य को सेवा शर्तों का उल्लंघन मानते हुए जांच का आदेश दिया है। DIG ने पूर्णिया के पुलिस अधीक्षक (SP) को मामले की जांच कर उचित कार्रवाई करने और रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए हैं।
क्या है पूरा मामला?
SHO शबाना आज़मी ने हाल ही में पूर्णिया टीओपी थाने का कार्यभार संभाला था। इस अवसर पर उन्होंने अपनी सफलता को अपने परिवार के साथ साझा करते हुए, अपने पिता और दादा को अपने कार्यालय की कुर्सी पर बैठाया और इस पल की तस्वीरें सोशल मीडिया पर साझा कीं। इन तस्वीरों को लोगों ने सराहा, भावुक प्रतिक्रिया दी, और भारतीय संस्कृति में “बड़ों के सम्मान” का प्रतीक माना। लेकिन विभागीय नजरिए से इसे “अनुशासनहीनता” की श्रेणी में रखा गया है।
सवाल: नियम ज़रूरी हैं, पर क्या सम्मान नहीं?
जहां एक ओर पुलिस नियमावली सरकारी कुर्सी का उपयोग केवल पदस्थ अधिकारियों के लिए निर्धारित करती है, वहीं इस मामले ने एक बड़ी बहस को जन्म दे दिया है — लोग अब पूछ रहे हैं कि क्या एक बेटी अपने बड़ों के प्रति सम्मान प्रकट करने के लिए अपनी भावनाएं सार्वजनिक रूप से नहीं दिखा सकती?
सोशल मीडिया पर मिल रहा समर्थन
शबाना आज़मी को सोशल मीडिया पर जबरदस्त समर्थन मिल रहा है। हजारों यूज़र्स ने उनकी तस्वीरों पर सकारात्मक टिप्पणी करते हुए लिखा:
“ये सिर्फ एक फोटो नहीं, एक बेटी का गर्व, एक अफ़सर की विनम्रता और एक परिवार का संघर्ष है।”
अब सबकी निगाहें SP की रिपोर्ट पर
अब यह देखना दिलचस्प होगा कि पूर्णिया पुलिस अधीक्षक इस मामले में क्या रिपोर्ट पेश करते हैं और क्या शबाना को नियमों से सज़ा मिलेगी या भावनाओं को सम्मान?