जोहार हिंदुस्तान | लखनऊ : उत्तर प्रदेश के वरिष्ठ सियासी नेता व समाजवादी पार्टी के दिग्गज मोहम्मद आजम खान को करीब 23 माह की बंदी के बाद मंगलवार को सीतापुर जेल से रिहा कर दिया गया। जेल से बाहर आते ही उनके परिजन, कार्यकर्ता और समर्थक नारेबाजी, फूल-माला और गले मिलकर उनका स्वागत किया । रिहाई के समय जेल परिसर और आसपास भारी सुरक्षा तैनात रही।
रिहाई की औपचारिक प्रक्रिया
आज़म खान पर कुल 104 से अधिक मामले दर्ज किए गए थे इनमें से कई मामलों में उन्हें अदालतों से पहले ही राहत मिल चुकी थी। परंतु जानकारी के मुताबिक़ 72 मामलों में औपचारिक प्रक्रियाएँ पूरी होने के बाद रिहाई का आदेश लागू किया गया। इस दौरान सीतापुर जेल प्रशासन ने रिहाई की तैयारियों के साथ-साथ सुरक्षा के कड़े इंतज़ाम किए और एहतियातन धारा 144 लागू थी।
स्वागत-उत्सव के बीच प्रशासन की कार्रवाई
जेल से बाहर निकलते ही समर्थकों का जोश भड़क उठा और कई वाहनों का काफिला भी बना। हालांकि, भीड़-नियंत्रण और यातायात नियमों के उल्लंघन को देखते हुए पुलिस ने सख्ती भी दिखाई रिपोर्ट के अनुसार 73 वाहनों का चालान किया गया और कुल 1.49 लाख का जुर्माना वसूल किया गया।
आजम का बयान
सीतापुर जेल से बाहर निकलते हुए आजम खान ने कहा
सबका शुक्रिया, सबको दुआएं
पत्ता पत्ता बूटा बूटा हाल हमारा जाने है. बदला तो वहां लिया जाता है जहां किसी के साथ बुरा किया गया हो मैंने तो अपने दुश्मनों के साथ भी अच्छा सुलूक किया पूरी सरकार में कोई यह कह ही नहीं सकता कि मेरी क़लम से किसी के साथ नाइंसाफी हुई है।
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव का बयान
माननीय आज़म ख़ान जी की रिहाई उनके और उनके परिवार और हम सब के साथ-साथ, उन सब लोगों के लिए राहत और ख़ुशी की बात है जो ‘इंसाफ़’ में ऐतबार करते हैं। न्याय में विश्वास को बनाए रखने के लिए अदालत का दिल से शुक्रिया।
आज फ़र्ज़ी मुकदमे करनेवालों को भी ये सबक मिल गया है कि हर ‘झूठ’ की एक मियाद होती है और हर ‘साज़िश’ की भी। जो लोग सामाजिक सौहार्द के प्रतीक होते हैं, भाजपा को वो कभी अच्छे नहीं लगते हैं।
माननीय आज़म ख़ान जी एक बार फिर से हर उपेक्षित, पीड़ित, दुखी, अपमानित के साथ खड़े होकर, भाजपाइयों और उनके संगी-साथियों के द्वारा किये जा रहे जनता के दमन के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाएंगे और हमेशा की तरह देश-प्रदेश की भावनात्मक एकता के प्रतीक बनकर, समाजवादी मूल्यों और सिद्धांतों के साथ, सामाजिक न्याय के संघर्ष की राह पर आगे बढ़ते जाएंगे!
इंसाफ़ ज़िंदाबाद!
चुनौतियाँ बरकरार — अभी कई मुकदमे विचाराधीन
हालाँकि आजम खान रिहा हो चुके हैं, पर उनके खिलाफ दर्ज कई मामले अभी भी विचाराधीन हैं। राजनीतिक विशेषज्ञों का कहना है कि रिहाई के बाद भी उन पर कानूनी जोखिम पूरी तरह समाप्त नहीं हुआ है और आगे के दिनों में इन मामलों की केंद्रीयता राजनीतिक परिदृश्य को प्रभावित कर सकती है।
आजम का राजनीतिक सफर — एक संक्षिप्त परिचय
मोहम्मद आजम खान उत्तर प्रदेश की सियासत के पुराने चेहरे हैं। उन्होंने बार-बार विधान सभा और संसद में अपनी सक्रियता दिखाई है। राजनीतिक जीवन में वे कई बार विधायक, मंत्री और एक बार राज्यसभा सदस्य रहे हैं। उनकी लोकप्रियता खासकर रामपुर और आसपास के क्षेत्रों में गहरी रही है; जेल के दौरान भी उनके समर्थकों ने चुनावी और राजनीतिक मोर्चे पर उनका साथ नहीं छोड़ा।
नज़रें अब आगे — राजनीतिक वापसी और रणनीति
आज़म खान की रिहाई न केवल उनके व्यक्तिगत जीवन के लिये महत्वपूर्ण है बल्कि समाजवादी पार्टी के लिये भी प्रतीकात्मक महत्व रखती है। अब यह देखना बाकी है कि वे किस रणनीति के साथ राजनीतिक रुप से वापसी करते हैं — स्थानीय स्तर पर शक्ति के केंद्र के रूप में काम करेंगे या statewide नेतृत्व भूमिकाएँ निभाएंगे। आजम खान की रिहाई उनके समर्थकों में उत्साह और विपक्षी दलों में हलचल दोनों ला चुकी है। लंबित कानूनी प्रक्रियाएँ, राजनीतिक दायरा और स्वास्थ्य स्थिति—ये तमाम कारक तय करेंगे कि उनके लौटकर आने का असर आने वाले सप्ताह और महीनों में किस तरह दिखता है।