जोहार हिंदुस्तान | नई दिल्ली : ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के राष्ट्रीय अध्यक्ष और हैदराबाद से सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने बिहार में मतदाता सूची संशोधन (SIR – Special Summary Revision) को लेकर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।
ओवैसी ने कहा कि SIR रिपोर्ट के मुताबिक बिहार में करीब 56 लाख मतदाताओं के नाम सूची से हटा दिए गए हैं, और यह सिर्फ प्रशासनिक चूक नहीं, बल्कि लोकतंत्र पर एक गहरा हमला है।
उन्होंने दावा किया कि..
“सबसे ज़्यादा नाम उन जिलों से हटाए गए हैं जहाँ मुस्लिम आबादी अधिक है, और जहाँ के लोग रोज़गार की तलाश में दिल्ली, मुंबई, गुजरात, पंजाब जैसे राज्यों में पलायन कर जाते हैं। ऐसे में जब वे अपने गृह जिले में मौजूद नहीं होते, तो उनके नाम बिना सूचना के मतदाता सूची से हटा दिए जाते हैं।”
ओवैसी ने आगे कहा कि इस तरह की प्रक्रिया का सबसे बड़ा नुकसान उन भारतीयों को उठाना पड़ रहा है जो पहले से ही समाज के सबसे कमज़ोर तबकों में आते हैं – जिनके पास उनके वोट के अधिकार के अलावा कोई आवाज़ नहीं है।
यह लोकतंत्र को कमजोर करने की कोशिश है
ओवैसी ने चुनाव आयोग से तत्काल हस्तक्षेप की मांग करते हुए कहा:
“56 लाख लोगों का वोटर लिस्ट से नाम गायब होना कोई मामूली बात नहीं है। यह संविधानिक अधिकारों का हनन है। देश के नागरिकों को वोट देने से रोकने की ये सोची-समझी कोशिश लगती है।”
उन्होंने बिहार सरकार और निर्वाचन आयोग से जवाब मांगते हुए कहा कि इस पूरे मामले में जांच होनी चाहिए, और जिन लोगों के नाम सूची से काटे गए हैं, उन्हें पुनः शामिल किया जाए।
सियासी हलचल तेज
ओवैसी के बयान के बाद बिहार की सियासत में हलचल मच गई है। विपक्षी दलों ने इस मुद्दे को लेकर सरकार को घेरना शुरू कर दिया है और मांग की है कि चुनाव आयोग इस पर स्पष्टीकरण जारी करे और आम जनता को जागरूक किया जाए।