उत्तर प्रदेश ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के उत्तर प्रदेश प्रदेश अध्यक्ष शौकत अली को आज उस समय प्रशासन ने बीच रास्ते में रोक दिया, जब वे मरहूम आरिश के परिवार से मुलाकात करने के लिए जा रहे थे। आरिश की मौत और उसके बाद AIMIM नेताओं को रोके जाने की घटना ने राज्य में प्रशासनिक रवैये और राजनीतिक असंतोष को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या उत्तर प्रदेश में लोकतांत्रिक अधिकारों को दबाया जा रहा है या यह सिर्फ कानून-व्यवस्था का सवाल है — यह बहस अब और तेज़ होती दिख रही है।
शौकत अली का कहना है कि वह आरिश के परिवार को सांत्वना देने और न्याय की मांग को मजबूती से उठाने के लिए उनके घर जा रहे थे, लेकिन प्रशासन ने लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन करते हुए उन्हें आगे बढ़ने से रोक दिया।
क्या है मामला?
आरिश की हाल ही में हुई मौत ने पूरे प्रदेश में आक्रोश और संवेदना का माहौल पैदा कर दिया है। परिजन और स्थानीय लोग आरिश की मौत को लेकर प्रशासनिक लापरवाही और पक्षपातपूर्ण रवैये के आरोप लगा रहे हैं।
AIMIM नेता शौकत अली ने कहा.. “सरकार और प्रशासन सच्चाई से भाग रही है। हम आरिश को इंसाफ दिलाने के लिए हर मंच पर आवाज़ उठाएंगे, चाहे वो सड़क हो या सदन।”
प्रशासन की सफाई
प्रशासन की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि यह कदम एहतियातन उठाया गया ताकि कानून-व्यवस्था की स्थिति न बिगड़े। जिला प्रशासन ने यह भी कहा कि संबंधित क्षेत्र में धारा 144 लागू है। हालांकि AIMIM और अन्य विपक्षी नेताओं ने इसे लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन और सियासी दबाव में लिया गया फैसला करार दिया है।