जोहार हिंदुस्तान | नई दिल्ली : अयोध्या विकास प्राधिकरण (ADA) ने हाल ही में एक आरटीआई के जवाब में खुलासा किया है कि धन्नीपुर गाँव में प्रस्तावित मस्जिद और उससे जुड़े अस्पताल-भवन आदि के लेआउट प्लान को विकास प्राधिकरण ने खारिज कर दिया है, क्योंकि कई अहम सरकारी विभागों ने अभी तक आवश्यक अनापत्ति प्रमाणपत्र (No Objection Certificates, NOCs) जारी नहीं किया है।
अयोध्या में बाबरी मस्ज़िद के बदले मस्जिद निर्माण से जुड़े महत्वपूर्ण तथ्य
भूमि आवंटन सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवंबर 2019 को राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद के दौरान मुस्लिम पक्ष को अयोध्या में मस्जिद निर्माण के लिए पांच एकड़ जमीन आवंटित की थी।
यह ज़मीन धन्नीपुर गाँव, सोहावल तहसील, अयोध्या जिले में है। ट्रस्ट है सनी सेंट्रल वक्फ बोर्ड / इंडो-इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन ट्रस्ट जिसने इस मस्जिद-परियोजना के लिए आवेदन किया था।
मस्जिद ट्रस्ट ने लेआउट प्लान की मंज़ूरी हेतु आवेदन 23 जून 2021 को ADA को प्रस्तुत किया था।
फीस भुगतान ट्रस्ट ने आवेदन व जांच (scrutiny) शुल्क मिलाकर लगभग 4,02,628 जमा किए थे।
इन विभागों से अनापत्ति प्रमाणपत्र नहीं मिले
लोक निर्माण विभाग (PWD), प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, नागरिक उड्डयन विभाग, सिंचाई विभाग, राजस्व विभाग, नगर निगम, जिला मजिस्ट्रेट कार्यालय, और अग्निशमन विभाग।
अग्निशमन विभाग की आपत्ति विभाग ने निरीक्षण में कहा कि प्रस्तावित मस्जिद और अस्पताल के मानकों के अनुसार पहुंच मार्ग की चौड़ाई कम है। अपेक्षित सड़क चौड़ाई 12 मीटर होनी चाहिए थी, लेकिन मौजूदा सड़कें लगभग 4-6 मीटर की हैं। मुख्य प्रवेश द्वार पर सड़क ~4 मीटर की है।
पत्रकार ओम प्रकाश सिंह द्वारा RTI रिपोर्ट 16 सितंबर 2025 को ADA से प्राप्त हुई जिसमें ये जानकारी सार्वजनिक की गई।
ट्रस्ट का बयान
मस्जिद ट्रस्ट के सचिव अथर हुसैन ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने जमीन देने का आदेश दिया था और राज्य सरकार ने वह भूखंड आवंटित किया है। उन्होंने सवाल उठाया कि सरकारी विभागों ने NOCs क्यों नहीं दिए।
उनका कहना है कि अग्निशमन विभाग की आपत्ति के अलावा उन्हें अन्य विभागों से कोई स्पष्ट सूचना नहीं मिली है कि किन विभागों ने क्यों आपत्ति जतायी है।
महत्व और असर
यह मामला सुप्रीम कोर्ट के आदेश पालन और अभिव्यक्ति की स्वायत्तता के बीच संतुलन को दर्शाता है।
यह दर्शाता है कि निर्धारित नियम-कानूनों और प्रशासकीय प्रक्रिया के अनुपालन में कितनी देरी हो सकती है यदि विभागीय मंजूरी ना हो।
आम जनता और विशेषकर मस्जिद ट्रस्ट के लिए यह न्याय और पारदर्शिता की लड़ाई है।
आगे का रास्ता
ट्रस्ट ने कहा है कि RTI उत्तर मिलने के बाद अब अगला कदम तय किया जाएगा। संभव है कि वे पुनः आवेदन करें, मार्ग-चौड़ाई संबंधी आपत्तियाँ दूर करें और अन्य विभागों से NOC प्राप्त करने का प्रयास करें।
आवश्यकता पड़ी तो न्यायालय में याचिका दायर हो सकती है ताकि मंजूरी प्रक्रिया को सुचारू बनाया जाए।