जोहार हिंदुस्तान | नई दिल्ली: संचार मंत्रालय द्वारा मोबाइल फोन निर्माताओं को सभी नए और मौजूदा स्मार्टफोन्स में “संचार सारथी ऐप” अनिवार्य रूप से इंस्टॉल करने के निर्देश ने राजनीतिक और सामाजिक हलकों में नई बहस छेड़ दी है।
इसी मुद्दे पर आप नेता और राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने केंद्र सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
केजरीवाल का आरोप — “लोगों की निजता और आज़ादी पर हमला”
अरविंद केजरीवाल ने बयान जारी करते हुए कहा कि केंद्र सरकार का यह आदेश लोकतांत्रिक अधिकारों के खिलाफ है।
उन्होंने कहा कि मोदी सरकार का सभी मोबाइल कंपनियों को यह ऐप जबरन इंस्टॉल कराने का आदेश लोगों की निजता और आज़ादी पर खुला हमला है। दुनिया के किसी लोकतंत्र ने ऐसा कदम नहीं उठाया।
उन्होंने यह भी कहा कि नोटिफिकेशन में ऐप इंस्टॉल करने से पहले उपयोगकर्ता की सहमति (Consent), ऐप को कभी भी अनइंस्टॉल करने का विकल्प इन दोनों का कोई उल्लेख नहीं है। आम आदमी पार्टी ने इस फैसले को “तानाशाही कदम” बताते हुए इसे तुरंत वापस लेने की मांग की है।
संचार सारथी ऐप किन चीज़ों तक पहुँच चाहता है?
केजरीवाल ने अपने बयान में दावा किया कि यह ऐप उपयोगकर्ता के फोन से कई संवेदनशील डेटा तक पहुँच की अनुमति मांगता है। उनके अनुसार ऐप में मांगी गई अनुमतियों में शामिल है।
🔹 Camera
फोन का कैमरा किसी भी समय उपयोग करने की क्षमता फोटो और वीडियो तक सीधा एक्सेस
🔹 Call Logs
आप किसे, कब और कितनी देर कॉल करते हैं—सारी जानकारी
🔹 Telephone Information
IMEI नंबर, सिम डिटेल्स, नेटवर्क, फोन की पूरी पहचान
🔹 SMS
OTP, बैंकिंग मैसेज, निजी एसएमएस पढ़ने और खुद एसएमएस भेजने की अनुमति
🔹 Storage
फोन के फोटो, डॉक्यूमेंट, वीडियो, फाइलें, ऐप इन्हें देखने, कॉपी करने और डिलीट करने की क्षमता रखता है
🔹 Network Access
इंटरनेट का उपयोग, बैकग्राउंड में चलना, नोटिफिकेशन नियंत्रित करना
मामला क्यों उठा?
संचार मंत्रालय ने हाल में एक अधिसूचना जारी कर सभी मोबाइल निर्माताओं को निर्देश दिए कि संचार सारथी ऐप सभी नए डिवाइस में पहले से इंस्टॉल होना चाहिए और सभी पुराने फोन में भी अपडेट के साथ जोड़ना अनिवार्य है।
सरकार का दावा है कि यह ऐप उपभोक्ता सुरक्षा, फर्जी कॉल/मैसेज की शिकायत, मोबाइल फ्रॉड रोकने जैसे उद्देश्य से बनाया गया है।
लेकिन विपक्ष और डिजिटल राइट्स एक्टिविस्टों का कहना है कि ऐप अत्यधिक अनुमतियाँ मांगता है, जिससे डाटा सुरक्षा और प्राइवेसी पर खतरा पैदा हो सकता है।
