जोहार हिंदुस्तान | नई दिल्ली : दिल्ली दंगों से जुड़े मामलों में आज सुप्रीम कोर्ट में एक महत्वपूर्ण सुनवाई होने जा रही है। यह सुनवाई मुख्य रूप से पूर्व जेएनयू छात्र नेता उमर खालिद और जेएनयू के पूर्व छात्र शरजील इमाम से संबंधित है। दोनों पर दिल्ली दंगों की साजिश में शामिल होने का आरोप है।
दिल्ली पुलिस को सुप्रीम कोर्ट का नोटिस
गौरतलब है कि कुछ दिन पहले सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया था, जिसमें उमर खालिद, शरजील इमाम, मीरान हैदर, गुल्फिशा फातिमा और शिफा-उर-रहमान की ज़मानत याचिकाओं पर जवाब दाखिल करने के लिए कहा गया था।
इन सभी पर दिल्ली दंगों की साजिश, भड़काऊ भाषण और UAPA (Unlawful Activities Prevention Act) के तहत गंभीर आरोप लगे हैं।
अंतरिम ज़मानत पर भी हुई थी चर्चा
सुप्रीम कोर्ट ने इन याचिकाओं के साथ-साथ अंतरिम ज़मानत (Interim Bail) की मांग पर भी सुनवाई के लिए नोटिस जारी किया था। आज की सुनवाई में इस पर विस्तृत बहस होने की संभावना है।
सूत्रों के अनुसार, उमर खालिद और शरजील इमाम दोनों के वकील यह दलील दे सकते हैं कि उनके खिलाफ लगाए गए आरोप राजनीतिक रूप से प्रेरित हैं और उन्होंने किसी भी तरह की हिंसा को बढ़ावा नहीं दिया।
वहीं, दिल्ली पुलिस की ओर से यह तर्क दिया जाएगा कि दोनों के भाषण और गतिविधियां दंगे की साजिश का हिस्सा थीं, इसलिए उन्हें ज़मानत नहीं दी जानी चाहिए।
क्या है पूरा मामला?
दिल्ली दंगे (फरवरी 2020) के दौरान नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और एनआरसी के विरोध प्रदर्शनों के बीच हिंसा भड़क उठी थी, जिसमें 50 से अधिक लोगों की मौत हुई और 200 से अधिक लोग घायल हुए थे।
दिल्ली पुलिस ने इन नेताओं और कार्यकर्ताओं पर आरोप लगाया कि उन्होंने सोशल मीडिया, भाषणों और बैठकों के ज़रिए दंगे की साजिश रची थी।
अब सबकी निगाहें सुप्रीम कोर्ट पर
आज की सुनवाई को लेकर देशभर में नज़रें सुप्रीम कोर्ट पर टिकी हैं।
अगर कोर्ट अंतरिम ज़मानत देने का फैसला करता है, तो यह दिल्ली दंगा मामलों में एक बड़ा कानूनी मोड़ साबित हो सकता है।
वहीं, अगर कोर्ट याचिकाएं खारिज करता है, तो दोनों नेताओं को जेल में रहना पड़ेगा जब तक कि मुकदमे की कार्यवाही पूरी न हो जाए।
अगली कार्यवाही पर निर्भर करेगा बड़ा फैसला
आज की सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट अगली तारीख तय कर सकता है या इस पर विस्तृत फैसला भी सुना सकता है।
कानूनी जानकारों का मानना है कि यह सुनवाई सिर्फ इन दो नेताओं के लिए ही नहीं, बल्कि UAPA के तहत दर्ज अन्य मामलों पर भी असर डाल सकती है।