जोहार हिंदुस्तान | लोहरदगा: महात्मा गांधी की जयंती पर झारखंड के लोहरदगा जिले के भंडरा में विशेष ग्राम सभा का आयोजन किया गया। इस ग्राम सभा में जनजातीय कार्य मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा शुरू किए गए ‘आदि कर्मयोगी अभियान’ की सभी योजनाओं को औपचारिक मंजूरी दी गई।
यह विशेष ग्राम सभा भंडरा प्रखंड अंतर्गत उदरंगी पंचायत के भैसमुंदो गांव के अखाड़ा में हुई, जिसमें जनजातीय कार्य मंत्रालय भारत सरकार के प्रतिनिधि, जिला एवं प्रखंड स्तर के पदाधिकारी और पंचायत प्रतिनिधि बड़ी संख्या में मौजूद रहे।
मौके पर मुख्य अतिथि के रूप में जनजातीय कार्य मंत्रालय के प्रतिनिधि सौरभ कुमार, लोहरदगा आईटीडीए निदेशक सुषमा नीलम सोरेंग, जिला पंचायती राज पदाधिकारी अंजना दास, प्रखंड विकास पदाधिकारी प्रतिमा कुमारी, प्रखंड कल्याण पदाधिकारी वीणा कुमारी, पंचायत मुखिया परमेश्वर महली सहित अन्य अधिकारी शामिल हुए।
अभियान का उद्देश्य
आदि कर्मयोगी अभियान का मकसद आदिवासी समाज को आत्मनिर्भर और सशक्त बनाना है। इसके तहत युवाओं और महिलाओं को शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार से जोड़ना, परंपरागत कला, संस्कृति और लोकजीवन को संरक्षित करना, नशामुक्ति और सामाजिक बुराइयों से दूर रहने का संदेश देना, आदिवासी बहुल गांवों को विकास की मुख्यधारा से जोड़ना
कार्यक्रम में बोलते हुए मंत्रालय के प्रतिनिधि सौरभ कुमार ने कहा कि यह अभियान प्रधानमंत्री के विज़न के अनुरूप है और इससे न केवल आर्थिक विकास होगा बल्कि जनजातीय युवाओं में नेतृत्व और सामाजिक जिम्मेदारी भी बढ़ेगी।
पंचायत मुखिया परमेश्वर महली ने ग्रामीणों से नशा और जुआ जैसी बुराइयों से दूर रहने, शिक्षा और स्वच्छता पर जोर देने की अपील की।
लोहरदगा जिले में 205 गांव शामिल
इस अभियान के तहत लोहरदगा जिले के कुल 353 गांवों में से 205 आदिवासी बहुल गांवों का चयन किया गया है। प्रत्येक गांव में दो ‘आदि साथी’ और एक ‘आदि सहयोगी’ नियुक्त होंगे, जो गांव और प्रशासन के बीच सेतु का कार्य करेंगे। साथ ही, गांवों में ‘आदि सहायता केंद्र’ भी स्थापित किए जाएंगे।
विशेष ग्राम सभा में ग्रामीणों ने भी अपनी समस्याएं रखीं और बिजली, सड़क, स्वास्थ्य, शिक्षा, स्वच्छ पेयजल और रोजगार सृजन जैसे मुद्दों पर चर्चा की। ग्रामीणों ने सामूहिक रूप से निर्णय लिया कि अब विकास की दिशा उनकी जरूरतों और राय के आधार पर तय होगी।
महात्मा गांधी की जयंती पर आयोजित इस विशेष ग्राम सभा ने साबित कर दिया कि आदिवासी समाज अब नई राह चुनने को तैयार है। आदि कर्मयोगी अभियान से न केवल शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार के क्षेत्र में बदलाव की उम्मीद है, बल्कि यह अभियान आदिवासी बहुल गांवों को विकास की नई दिशा देने वाला साबित होगा।