जोहार हिंदुस्तान | नई दिल्ली : 2 अक्टूबर को भारत और पूरी दुनिया महात्मा गांधी की जयंती मनाती है। दुनिया उन्हें राष्ट्रपिता, बापू और महात्मा के नाम से जानती है। गांधी जयंती सिर्फ एक जन्मदिन नहीं, बल्कि उन विचारों का स्मरण है जिन्होंने सत्य, अहिंसा और शांति के जरिए न केवल भारत को आज़ादी दिलाई, बल्कि पूरी दुनिया को मानवता का नया मार्ग दिखाया। गांधी जयंती सिर्फ अतीत की याद नहीं है, बल्कि भविष्य की दिशा है।
आज जब दुनिया हिंसा, आतंकवाद और असहिष्णुता से जूझ रही है, गांधीजी की शिक्षाएँ हमें बताती हैं कि सत्य और अहिंसा ही स्थायी समाधान है।
2007 में संयुक्त राष्ट्र (UN) ने 2 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस (International Day of Non-Violence) घोषित किया। इस कारण यह दिन भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में गांधीजी की विचारधारा को याद करने का अवसर है।
गांधीजी का जीवन परिचय
पूरा नाम: मोहनदास करमचंद गांधी
जन्म: 2 अक्टूबर 1869, पोरबंदर (गुजरात)
पिता: करमचंद गांधी (काठियावाड़ के दीवान)
माता: पुतलीबाई (धार्मिक और सरल स्वभाव वाली)
गांधीजी ने लंदन में बैरिस्टर की पढ़ाई की और दक्षिण अफ्रीका में वकालत शुरू की। वहीं उन्हें नस्लीय भेदभाव का सामना करना पड़ा। ट्रेन से निकाले जाने की घटना ने उनके जीवन को बदल दिया और यही से उन्होंने सत्याग्रह और अहिंसा को हथियार बनाया।
स्वतंत्रता संग्राम में गांधी का योगदान
भारत लौटने के बाद गांधीजी ने आज़ादी की लड़ाई को एक नया मोड़ दिया।
चंपारण आंदोलन (1917): किसानों को नील की खेती से मुक्ति दिलाई।
असहयोग आंदोलन (1920): ब्रिटिश शासन के खिलाफ जन आंदोलन।
दांडी मार्च (1930): नमक कानून तोड़कर अंग्रेजों की सत्ता को चुनौती।
भारत छोड़ो आंदोलन (1942): “अंग्रेजों भारत छोड़ो” का नारा दिया।
उनकी रणनीति थी – अहिंसा से भी दुनिया को झुकाया जा सकता है।
गांधीजी का वैश्विक प्रभाव
गांधीजी केवल भारत तक सीमित नहीं रहे। उनके विचारों से दुनिया भर के नेता प्रभावित हुए।
मार्टिन लूथर किंग जूनियर (अमेरिका): नागरिक अधिकार आंदोलन में अहिंसा अपनाई।
नेल्सन मंडेला (दक्षिण अफ्रीका): रंगभेद खत्म करने में गांधी के विचारों से प्रेरणा ली।
दलाई लामा: शांति और करुणा के संदेश में गांधी की शिक्षाओं का उल्लेख करते हैं।
गांधीजी के प्रेरणादायक उद्धरण
“आंख के बदले आंख से पूरी दुनिया अंधी हो जाएगी।”
“सत्य ही ईश्वर है।”
“आप वह बदलाव बनिए, जो आप दुनिया में देखना चाहते हैं।”
“अहिंसा मानवता का सबसे बड़ा धर्म है।”
गांधीजी और स्वच्छता
गांधीजी का मानना था कि स्वच्छता, स्वतंत्रता से भी ज्यादा जरूरी है। यही कारण है कि आज स्वच्छ भारत अभियान गांधी जयंती पर विशेष रूप से चलाया जाता है।
आज की प्रासंगिकता
आज जब समाज में हिंसा, असहिष्णुता और नफरत का बोलबाला है, तब गांधीजी का संदेश और भी प्रासंगिक हो जाता है।
राजनीति में सत्य और पारदर्शिता।
समाज में सद्भाव और भाईचारा।
अर्थव्यवस्था में आत्मनिर्भरता और स्वदेशी।
पर्यावरण संरक्षण में कम उपभोग और सतत जीवनशैली।
समाज में सद्भाव और भाईचारा।
अर्थव्यवस्था में आत्मनिर्भरता और स्वदेशी।
पर्यावरण संरक्षण में कम उपभोग और सतत जीवनशैली।
गांधीजी की हत्या: एक दर्दनाक अध्याय
30 जनवरी 1948 को, नाथूराम गोडसे ने नई दिल्ली के बिड़ला हाउस में महात्मा गांधी की गोली मारकर हत्या कर दी। गोडसे का मानना था कि गांधीजी की नीतियाँ पाकिस्तान और मुसलमानों के पक्ष में थीं। उस समय गांधी प्रार्थना सभा के लिए जा रहे थे और “हे राम” कहते हुए उन्होंने अंतिम सांस ली। यह घटना भारत के इतिहास का सबसे काला दिन साबित हुई।
गांधी जयंती क्यों महत्वपूर्ण है?
भारत का राष्ट्रीय अवकाश।
अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में पूरी दुनिया इसे मान्यता देती है।
स्कूल-कॉलेजों, सरकारी संस्थानों और समाजिक संगठनों द्वारा भजन, प्रार्थना, विचार गोष्ठी, नाटक और सफाई अभियान आयोजित किए जाते हैं।