जोहार हिंदुस्तान | नई दिल्ली: भारत के महान क्रांतिकारी और स्वतंत्रता सेनानी शहीद-ए-आजम भगत सिंह की जयंती हर साल 28 सितंबर को पूरे देश में श्रद्धा और गर्व के साथ मनाई जाती है। यह दिन केवल उनके बलिदान को याद करने का अवसर नहीं है, बल्कि उनके क्रांतिकारी विचारों और “इंकलाब जिंदाबाद” के नारे की भावना को पुनर्जीवित करने का भी प्रतीक है।
भगत सिंह का जीवन भले ही केवल 23 वर्षों तक सीमित रहा, लेकिन उस छोटी-सी उम्र में उन्होंने जिस वैचारिक क्रांति की नींव रखी, उसकी गूंज आज भी सुनाई देती है और आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी।
क्रांति का अर्थ बम और पिस्तौल से आगे
अक्सर भगत सिंह को उस वीर क्रांतिकारी के रूप में याद किया जाता है, जिसने ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ असेंबली में बम फेंककर “इंकलाब जिंदाबाद” का नारा बुलंद किया। लेकिन उनका योगदान केवल हथियार उठाने तक सीमित नहीं था।
वे गहरे विचारक, दार्शनिक और समाजवादी चिंतक थे। उनके लिए क्रांति का अर्थ था “अन्याय पर आधारित मौजूदा व्यवस्था में आमूल-चूल परिवर्तन।”
उन्होंने साफ कहा था कि क्रांति का मतलब खून-खराबा या व्यक्तिगत प्रतिशोध नहीं है। क्रांति का असली उद्देश्य है— ऐसा समाज बनाना, जहां शोषण और अन्याय की कोई जगह न हो।
उनका सपना था एक समानतावादी, धर्मनिरपेक्ष और समाजवादी भारत, जहाँ न विदेशी हुकूमत का शोषण हो, न ही भारतीय पूंजीपतियों का।
ज्ञान और विचार की मशाल
भगत सिंह जेल में अपने अंतिम 700 दिनों तक पढ़ने और लिखने में डूबे रहे। उन्होंने मार्क्स, लेनिन, बर्ट्रेंड रसेल जैसे चिंतकों के विचारों को आत्मसात किया।
उनका मशहूर निबंध “मैं नास्तिक क्यों हूं” (Why I Am an Atheist), जिसे उन्होंने जेल में लिखा और जो 27 सितंबर 1931 को ‘द पीपल’ अखबार में प्रकाशित हुआ, आज भी उनकी वैज्ञानिक सोच और तार्किक क्षमता का प्रमाण है।
भगत सिंह अंधविश्वास और रूढ़िवादिता के घोर विरोधी थे। उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि वे धार्मिक संकीर्णताओं से ऊपर उठकर मानवता और राष्ट्रहित के लिए सोचें।
आज के भारत में भगत सिंह की प्रासंगिकता
भगत सिंह जयंती पर हमें सिर्फ उनकी शहादत को याद नहीं करना चाहिए, बल्कि उनके विचारों को जीवन और समाज में आत्मसात करना चाहिए।
आज के समय में उनके विचार पहले से भी अधिक प्रासंगिक हैं
1. वैज्ञानिक सोच और तर्कशीलता : फेक न्यूज और अंधविश्वास के इस दौर में तार्किक दृष्टिकोण की आवश्यकता पहले से कहीं अधिक है।
2. समानता और समाजवाद : अमीरी-गरीबी की खाई और सामाजिक भेदभाव मिटाने के लिए उनके समाजवादी आदर्श आज भी मार्गदर्शक हैं।
3. धर्मनिरपेक्षता : जब समाज धर्म और जाति के नाम पर बंट रहा है, तब भगत सिंह का संदेश हमें एकता और भाईचारे की राह दिखाता है।
भगत सिंह का जीवन हमें यह सिखाता है कि क्रांति केवल शासन बदलने का नाम नहीं है, बल्कि विचार बदलने का नाम है।
उनकी जयंती पर हमें उनके आदर्शों को आत्मसात कर, उनके सपनों का भारत बनाने की दिशा में कदम बढ़ाना होगा।
शहीद-ए-आजम भगत सिंह की जयंती पर जोहार हिंदुस्तान उन्हें नमन करता है
शहीद भगत सिंह अमर रहें। इंकलाब जिंदाबाद।