जोहार हिंदुस्तान डेस्क | नई दिल्ली : लद्दाख के लेह शहर में राज्य-स्तरीय मांगों को लेकर बुधवार को हुए प्रदर्शन हिंसा में चार लोगों की मौत और दर्जनों घायल होने के बाद सुरक्षा स्थिति तनावग्रस्त हो गई। केंद्रीय गृह मंत्रालय और स्थानीय पुलिस ने हिंसा के जिम्मेदार ठहराते हुए जाने-माने पर्यावरण व राज्य-अधिकार कार्यकर्ता सोनम वांगचुक को राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (NSA) के तहत गिरफ्तार कर लिया। अधिकारियों ने कहा कि वांगचुक के ऊपर “उकसाने वाले बयानों” व संघटनात्मक सक्रियता के आरोप हैं; वांगचुक ने आरोपों का खंडन किया है।
क्या हुआ घटनाक्रम संक्षेप में
बुधवार को लेह में उस प्रदर्शन का स्वरूप अचानक हिंसक रूप ले बैठा जो पिछले कुछ समय से लद्दाख को राज्य का दर्जा और छठे अनुसूची (Sixth Schedule) के तहत संवैधानिक सुरक्षा दिलाने की मांग कर रहा था। प्रदर्शन के दौरान सुरक्षा बलों और कुछ हिस्सों में प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पें हुईं भीड़ ने कुछ सरकारी परिसरों व वाहनों को आग लगा दी — इसके बाद सुरक्षा बलों द्वारा नियंत्रण के प्रयास किए गए। हिंसा के दौरान कम से कम चार लोगों की मौत हुई और सैकड़ों लोग घायल बताए जा रहे हैं; अस्पतालों में संख्या और स्थिति का आंकलन जारी है।
घटनास्थल पर कर्फ्यू लगा दिया गया है, मोबाइल इंटरनेट व कुछ संचार सेवाओं पर अस्थायी रोक लगायी गयी तथा बड़े तेवर से सुरक्षा बलों की तैनाती की गई है। प्रशासन ने सामूहिक समारोहों पर प्रतिबंध लगा दिया और कहीं-कहीं पर एकत्रित लोगों की धरपकड़ की खबरें भी आईं।
वांगचुक पर आरोप सरकार का रुख और कार्रवाई
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने वांगचुक और उनके जुड़े समूहों को हिंसा के लिये प्रेरक बताकर कार्रवाई की घोषणा की वांगचुक के एनजीओ — Students’ Educational and Cultural Movement of Ladakh (SECMOL) — की एफसीआरए/अन्य लाइसेंस संबंधी कार्रवाई भी की गयी बताया जा रहा है। अधिकारियों का कहना है कि वांगचुक की रैलियों और बयानों ने मौजूदा तनाव को भड़काया। वहीं वांगचुक ने अपनी गिरफ्तारी से पहले कहा था कि उन्होंने प्रदर्शन को उकसाने का कोई इरादा नहीं रखा और हिंसा की जिम्मेदारी स्थानीय नाराज़गी एवं कई वर्षों से अनसुलझी मांगों पर रखी।
आतंरिक और मानवाधिकार चिंताएँ
मानवाधिकार समूहों ने हिंसा में मृतकों व घायल लोगों की स्थिति पर चिंता जताई है और सुरक्षा बलों तथा प्रशासन से संयम बरतने का आह्वान किया है। HRW और अंतरराष्ट्रीय मीडिया ने घटनाक्रम के तेज़ी से फैलने तथा बड़े पैमाने पर गिरफ्तारीयों और इंटरनेट शटडाउन की रिपोर्टिंग की है। स्थानीय आबादी और कई नागरिक-समूहों ने लंबे समय से नौकरी/क्वोटा, स्वायत्तता व संसाधन-प्रबंधन जैसे बुनियादी मुद्दों पर समाधान की मांग की है जो इस प्रदर्शन की पृष्ठभूमि बने हुए थे।
प्रशासन का कदम और आगे की स्थिति
पुलिस ने हिंसा के बाद जांच शुरू कर दी है कई लोगों की गिरफ्तारी तथा प्रभावित इलाकों में तलाशी-तलासी की कार्रवाई जारी है। अधिकारियों ने शांति कायम करने और कानून-व्यवस्था बहाल करने का भरोसा दिलाया है तथा कहा है कि हिंसा में शामिल लोगों के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी। वहीं स्थानीय नेताओं और पदाधिकारियों के साथ विवाद शांत करने के लिए बातचीत की पहल भी रखी जा रही है केंद्र और लद्दाख के प्रतिनिधियों के बीच आगे की बैठकों की जानकारी मिली है।