जोहार हिंदुस्तान | लोहरदगा : जिले में रविवार को जीवित्पुत्रिका व्रत (जितिया) का पर्व श्रद्धा और भक्ति भाव के साथ मनाया गया। इस अवसर पर माताओं ने अपने संतान की लंबी उम्र और सुख-समृद्धि की कामना करते हुए निर्जला उपवास रखा। सुबह से ही महिलाएं व्रत की तैयारी में जुटी रहीं और पूरे दिन भगवान जीतवाहन की पूजा-अर्चना करती रहीं।
पारंपरिक रीति-रिवाजों के तहत महिलाओं ने अपने-अपने घरों में पूजन-अर्चन किया, वहीं कई स्थानों पर मंदिरों में भी विशेष पूजा का आयोजन हुआ। पूजन के दौरान पुरोहितों ने महिलाओं को भगवान जीतवाहन की कथा सुनाई और धर्म परायणता तथा मातृत्व की शक्ति का महत्व बताया।
पूरे दिन और रात बिना जल ग्रहण किए माताओं ने यह कठोर व्रत किया। महिलाओं का मानना है कि इस उपवास से संतान पर आने वाले संकट टल जाते हैं और उनके जीवन में सुख, स्वास्थ्य और समृद्धि बनी रहती है।
ग्रामीण क्षेत्रों से लेकर शहर तक इस पर्व की विशेष छटा देखने को मिली। महिलाएं पारंपरिक परिधान पहनकर पूजा-अर्चना में शामिल हुईं और भक्ति गीतों से वातावरण को मंगलमय बना दिया।
स्थानीय लोगों का कहना है कि जीवित्पुत्रिका व्रत केवल धार्मिक आस्था ही नहीं, बल्कि मातृत्व और संतान के प्रति अटूट ममत्व का प्रतीक है। इस व्रत से पीढ़ियों से जुड़ी सांस्कृतिक धरोहर और पारिवारिक एकता को भी बल मिलता है।