जोहार हिंदुस्तान | नई दिल्ली : आज देश अपने अमर सपूत और 1965 के भारत-पाक युद्ध के नायक हवलदार अब्दुल हमीद को उनकी शहादत दिवस पर नमन कर रहा है। हवलदार अब्दुल हमीद ने अपनी अद्वितीय बहादुरी से न केवल दुश्मन के मनोबल को तोड़ा, बल्कि भारत की सीमाओं की रक्षा करते हुए सर्वोच्च बलिदान भी दिया।
जन्म और प्रारंभिक जीवन
जन्म: 1 जुलाई 1933, धामूपुर गाँव, गाजीपुर जिला (उत्तर प्रदेश)। वे 4 ग्रेनेडियर रेजिमेंट में शामिल हुए और बहुत जल्दी ही अपनी अद्भुत शौर्य क्षमता और अनुशासन के लिए पहचान बना ली।
1965 का भारत-पाक युद्ध और असाधारण वीरता
1965 में भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान कश्मीर और पंजाब के मोर्चों पर भीषण लड़ाई चल रही थी। इसी युद्ध के दौरान, 10 सितंबर 1965 को खेमकरण सेक्टर (असाल उत्तर) में हवलदार अब्दुल हमीद ने दुश्मन के पैटन टैंकों के खिलाफ अपने साहस का प्रदर्शन किया।
उन्होंने तोप से लैस जीप पर सवार होकर एक के बाद एक कई पाकिस्तानी टैंकों को नष्ट किया।
पाकिस्तानी सेना को विश्वास था कि उनके अमेरिकी M48 पैटन टैंक भारतीय फौज को परास्त कर देंगे, लेकिन अब्दुल हमीद की रणकुशलता ने इस भ्रम को तोड़ दिया।
अपनी जीप से दागे गए सटीक तोप के गोले से उन्होंने दुश्मन के टैंकों को राख बना डाला।
इसी दौरान, एक टैंक के गोले से वे वीरगति को प्राप्त हुए, लेकिन युद्ध का पासा पलटकर उन्होंने भारत की जीत सुनिश्चित कर दी।
परमवीर चक्र सम्मान
उनकी अदम्य वीरता और सर्वोच्च बलिदान के लिए उन्हें मरणोपरांत परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया।
आज भी भारतीय सेना और देशवासी उन्हें “पैटन टैंकों का शिकारी” (Destroyer of Pattons) कहकर याद करते हैं।
हवलदार अब्दुल हमीद की विरासत
गाजीपुर जिले के उनके गाँव धामूपुर का नाम बदलकर “अब्दुल हमीद नगर” कर दिया गया है।
सेना की प्रेरणा और नए सैनिकों के लिए उनका जीवन एक पाठ्यपुस्तक की तरह है।
स्कूल, कॉलेज और सेना की प्रशिक्षण अकादमियों में उनकी वीरता की कहानियाँ सुनाई जाती हैं।
भारत-पाक युद्ध में उनके योगदान ने साफ कर दिया कि साहस और रणकौशल किसी भी आधुनिक हथियार से बड़ा होता है।
राष्ट्र की श्रद्धांजलि
आज शहादत दिवस पर पूरा देश उन्हें याद कर रहा है। प्रधानमंत्री, रक्षा मंत्री से लेकर आम नागरिक तक सोशल मीडिया पर उनके बलिदान को नमन कर रहे हैं।
हवलदार अब्दुल हमीद का जीवन और बलिदान हर भारतीय को यह संदेश देता है कि देश की रक्षा में जान की आहुति देना ही सर्वोच्च धर्म है।
हवलदार अब्दुल हमीद केवल भारतीय सेना के हीरो नहीं, बल्कि भारत की बहादुरी और एकता के प्रतीक हैं। उनकी शहादत हमें हमेशा यह प्रेरणा देती रहेगी कि भारत की सीमाओं की रक्षा के लिए हर चुनौती का सामना साहस और संकल्प से किया जा सकता है।