जोहार हिंदुस्तान | पटना : बिहार की राजनीति का नाम लेते ही जिस शख्सियत का ज़िक्र सबसे पहले होता है, वह हैं डॉ. शहाबुद्दीन साहब। सिवान ही नहीं, बल्कि पूरे बिहार में उनका राजनीतिक वर्चस्व था। यही वह दौर था जब उनके प्रभाव और समर्थन के बल पर लालू प्रसाद यादव और उनकी पत्नी राबड़ी देवी ने मुख्यमंत्री की कुर्सी तक का सफर तय किया।
आज, उसी विरासत को आगे बढ़ाने की तैयारी हो चुकी है। भवनाथपुर विधानसभा के वर्तमान विधायक ने एक ऐतिहासिक घोषणा करते हुए कहा है कि वे आगामी बिहार विधानसभा चुनाव 2025 नहीं लड़ेंगे। इसके बजाय, वे अपनी सीट डॉ. शहाबुद्दीन साहब के पुत्र ओसामा साहब को सौंपेंगे, जो RJD के टिकट पर मैदान में उतरेंगे।
विधायक ने कहा
मेरी राजनीति की नींव डॉ. शहाबुद्दीन साहब के आशीर्वाद और विरासत पर टिकी है। अब समय आ गया है कि उनकी राजनीतिक धरोहर को उनका बेटा आगे ले जाए।
डॉ. शहाबुद्दीन का वर्चस्व
डॉ. शहाबुद्दीन चार बार सांसद और दो बार विधायक रहे। उनका राजनीतिक प्रभाव सिर्फ सिवान तक सीमित नहीं था, बल्कि पूरे बिहार की राजनीति को दिशा देता था। लालू यादव और राबड़ी देवी का सत्ता तक पहुँचना, डॉ. शहाबुद्दीन के राजनीतिक प्रभाव और समर्थन का ही परिणाम था। उनका नाम न सिर्फ RJD की राजनीति बल्कि बिहार की राजनीति का सबसे सशक्त चेहरा था।
ओसामा का राजनीति में आगाज
अब डॉ. शहाबुद्दीन साहब की उसी विरासत को उनका पुत्र ओसामा साहब आगे बढ़ाएंगे। विधायक के सीट छोड़ने की घोषणा ने क्षेत्रीय राजनीति में हलचल मचा दी है और RJD कार्यकर्ताओं में जबरदस्त उत्साह है।
ओसामा का चुनाव लड़ना महज़ एक औपचारिकता नहीं, बल्कि जनता के बीच भावनात्मक जुड़ाव और राजनीतिक निष्ठा का प्रतीक माना जा रहा है।
राजनीतिक महत्व
भवनाथपुर विधायक का त्याग, भावनात्मक और रणनीतिक, दोनों ही स्तरों पर अहम है। यह कदम RJD के लिए 2025 के चुनाव में बड़ी मजबूती का संकेत है। डॉ. शहाबुद्दीन का नाम आज भी जनता के दिलों में गूंजता है, और ओसामा उसी विश्वास की नई कड़ी बनेंगे।
सिवान से लेकर पटना तक, और बिहार से दिल्ली तक—डॉ. शहाबुद्दीन साहब का राजनीतिक वर्चस्व अमर रहा है। अब उनकी विरासत का torch ओसामा साहब के हाथों में है। भवनाथपुर विधानसभा से उनकी उम्मीदवारी सिर्फ चुनाव नहीं, बल्कि बिहार की राजनीति में एक नई शुरुआत का ऐलान है।