जोहार हिंदुस्तान | रांची : झारखंडियों और मुस्लिम समुदाय से जुड़े न्याय और अधिकारों के मुद्दों पर आमया संगठन का एक प्रतिनिधिमंडल बुधवार को स्वास्थ्य मंत्री इरफान अंसारी के नेतृत्व में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मिला और उन्हें मांग पत्र सौंपा।
संगठन के केन्द्रीय अध्यक्ष एस. अली ने मुख्यमंत्री को बताया कि राज्य में कई गंभीर समस्याएं अब भी लंबित हैं। उन्होंने कहा कि..
स्थानीय नीति लागू न होने से बाहरी अभ्यर्थियों को लगातार लाभ मिल रहा है।
जिलावार बहाली में पिछड़ा वर्ग को आबादी के अनुपात में आरक्षण नहीं मिल रहा।
जेएसएससी द्वारा सहायक आचार्य (भाषा) पद में आलिम डिग्रीधारकों का परिणाम जारी नहीं किया गया, वहीं फाजिल डिग्रीधारकों को माध्यमिक आचार्य बहाली में शामिल नहीं किया गया।
मदरसा आलिम-फाजिल की परीक्षा रांची विश्वविद्यालय से नहीं कराई जा रही।
माॅब लिंचिंग निरोधक विधेयक 2021 अब तक लागू नहीं हुआ, जिससे घटनाओं में इजाफा हो रहा है।
10 जून 2022 रांची गोलीकांड में दर्ज प्राथमिकी अब तक वापस नहीं ली गई और गोली चलाने वालों पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।
3712 उर्दू शिक्षक पदों को TET उत्तीर्ण उम्मीदवारों से भरने की बजाय सहायक आचार्य पद में समायोजित कर दिया गया।
जिन 544 उर्दू स्कूलों का स्टेटस छीना गया था, उन्हें अब तक बहाल नहीं किया गया।
उर्दू अकादमी का गठन आज तक नहीं हुआ।
प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी हेतु मुख्यमंत्री अल्पसंख्यक कोचिंग योजना शुरू नहीं की गई।
बांग्लाभाषी झारखंडी मुस्लिमों के साथ निरंतर प्रताड़ना की शिकायतें सामने आ रही हैं।
उत्तर प्रदेश की तर्ज पर भैंसवंशी पशुओं के वध की अनुमति अब तक नहीं मिल पाई है।
बुनकर एवं टेलरिंग समितियों को सरकारी कपड़े का कार्य नहीं दिया जा रहा।
सरकारी भूमि पर सदियों से स्थापित मुस्लिम धार्मिक स्थलों को भूमि पट्टा निर्गत नहीं किया जा रहा।
इन मुद्दों को गंभीरता से सुनने के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि..
मामले संज्ञान में आ चुके हैं। सरकार इन पर जल्द ठोस कार्रवाई करेगी और समस्याओं का समाधान सुनिश्चित किया जाएगा।
झारखंड में स्थानीय नीति, शिक्षा, आरक्षण, धार्मिक स्वतंत्रता और अल्पसंख्यकों के अधिकार लंबे समय से चर्चा का विषय रहे हैं। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन द्वारा इन मुद्दों पर ठोस कदम उठाने का आश्वासन समुदाय के बीच एक उम्मीद जगाता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि सरकार इन समस्याओं का त्वरित समाधान करती है तो इससे न केवल झारखंडियों और मुस्लिम समुदाय का विश्वास मजबूत होगा, बल्कि राज्य में सामाजिक सौहार्द और राजनीतिक स्थिरता भी कायम होगी
बैठक में संगठन के कई पदाधिकारी और कार्यकर्ता मौजूद रहे, जिनमें लतीफ आलम, जियाउद्दीन अंसारी, मोहम्मद फुरकान, इमरान अंसारी, नौशाद आलम, रहमतुल्लाह अंसारी, एकराम हुसैन, औरंगजेब आलम, अब्दुल गफ्फार, अलाउद्दीन अंसारी, सफदर सुल्तान, अरशद जिया, अफजल खान और मोहम्मद अब्दुल्लाह शामिल थे।