जोहार हिंदुस्तान | पटना : बिहार की राजनीति इन दिनों राहुल गांधी की ‘वोटर अधिकार यात्रा’ से गरमाई हुई है। भीड़ का जनसैलाब और जनता का उत्साह तो इस यात्रा का हिस्सा बन ही चुका है, लेकिन आरा में बुधवार को घटित एक घटना ने राहुल गांधी के शांत स्वभाव और उनकी अलग राजनीति की झलक देशभर को दिखा दी।
काली कमीज़ पहनकर पहुंचे विरोधी
आरा में शनिवार को यात्रा के दौरान बीजेपी से जुड़े चार युवक काली कमीज़ पहनकर राहुल गांधी को काले झंडे दिखाने पहुंचे। जैसे ही राहुल गांधी की जीप वहाँ पहुँची, उन्होंने गाड़ी रुकवाई और उन युवकों को अपने पास बुला लिया। तीन युवक तो भीड़ और सुरक्षा कर्मियों को देखकर भाग गए, लेकिन एक युवक सामने आया।
राहुल गांधी का शांत सवाल
युवक को देखकर राहुल गांधी मुस्कुराए और बोले भाई, गुस्सा किस बात का है?
घबराए युवक ने धीमी आवाज़ में कहा PM की मां को गाली दी गई है।
इस पर राहुल गांधी ने उसी सहज भाव से पलटकर पूछा क्या मैंने गाली दी? क्या मेरी मौजूदगी में गाली दी गई? क्या मेरे किसी नेता ने गाली दी? इन सवालों पर युवक पूरी तरह निरुत्तर हो गया।
पानी और टॉफी खिलाकर विदा किया
इसके बाद राहुल गांधी ने युवक को पानी पिलाया और टॉफी भी दी।जाते समय उन्होंने साफ़ कहा इन बच्चों के साथ कोई मारपीट या बदसलूकी नहीं करेगा। बताया जाता है कि राहुल गांधी के इस व्यवहार से युवक इतना प्रभावित हुआ कि जाते वक्त उसने शर्म से सिर झुका लिया और राहुल गांधी के प्रति अपना सम्मान व्यक्त करते हुए निकल गया।
सुरक्षा चूक या बड़ी सीख?
राजनीतिक विशेषज्ञ मानते हैं कि यह घटना राहुल गांधी की सुरक्षा में बड़ी चूक भी मानी जा सकती थी। विपक्ष के सबसे बड़े नेता तक विरोधी युवक का इस तरह पहुँचना खतरनाक था। चाहें तो राहुल गांधी सुरक्षा बलों को आदेश देकर उस पर कार्रवाई करवा सकते थे। लेकिन उन्होंने इसके उलट, संवाद और करुणा का रास्ता चुना। यही वह क्षण था जिसने विरोधियों का भी दिल जीत लिया।
नई राजनीति का संदेश
यह वाकया राहुल गांधी की राजनीति का अलग चेहरा सामने लाता है। आज की सियासत जहाँ आरोप-प्रत्यारोप और कटु भाषा से भरी पड़ी है, वहीं राहुल गांधी ने यह संदेश दिया कि विरोध को भी बातचीत और प्यार से जवाब दिया जा सकता है।
आरा की यह घटना साबित करती है कि राहुल गांधी होना आसान नहीं, लेकिन राहुल गांधी होना अलग ज़रूर है।