जोहार हिंदुस्तान | पटना: बिहार की सियासत इस समय राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा और उसके इर्द-गिर्द खड़े हो रहे सवालों के कारण गरमा गई है। यात्रा को जनता से अपार समर्थन मिल रहा है, लेकिन इसी बीच AIMIM समर्थकों का पोस्टर वार गठबंधन की रणनीति पर सवाल खड़े कर रहा है।
पोस्टरों से खुली चेतावनी
राहुल गांधी की यात्रा के दौरान AIMIM समर्थक जगह-जगह पोस्टर लेकर खड़े नजर आए। इन पोस्टरों में साफ-साफ लिखा है कि..
“अगर AIMIM INDIA गठबंधन में शामिल नहीं, तो मुसलमानों का वोट INDIA गठबंधन को भी नहीं।”
यह चेतावनी गठबंधन के लिए सीधे तौर पर राजनीतिक दबाव का संकेत है।
महिलाओं और युवाओं की बढ़ी भागीदारी
इस विरोध की सबसे बड़ी विशेषता रही कि महिलाएं और युवा बड़ी संख्या में AIMIM के समर्थन में पोस्टर लेकर खड़े दिखे। गाँव, कस्बों और बाज़ारों में AIMIM का यह संदेश गूंजता रहा। राजनीति के जानकार मानते हैं कि मुस्लिम समाज के हर वर्ग की यह सक्रिय भागीदारी गठबंधन के लिए चिंता का विषय है।
2020 विधानसभा चुनाव में AIMIM का प्रदर्शन
बिहार विधानसभा चुनाव 2020 AIMIM के लिए मील का पत्थर साबित हुआ था। AIMIM ने 20 सीटों पर उम्मीदवार उतारे। इनमें से 14 सीटें सीमांचल क्षेत्र (मुस्लिम बहुल इलाका) में थीं। AIMIM ने 5 सीटों (अमौर, कोचाधामन, जोकीहाट, बैसी, बहादुरगंज) पर शानदार जीत दर्ज की। AIMIM पार्टी का कुल वोट प्रतिशत लगभग 1.24% रहा। AIMIM के प्रदर्शन ने सीधे तौर पर महागठबंधन की पकड़ कमजोर की, खासकर सीमांचल इलाके में। राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि AIMIM का यह प्रभाव आने वाले चुनावों में भी समीकरण पलट सकता है।
AIMIM समर्थकों के विरोध के रणनीतिक मायने
राहुल गांधी की यात्रा को जनता का बड़ा समर्थन मिल रहा है। भीड़ उमंग और जोश से भरी दिख रही है। लेकिन AIMIM समर्थकों के पोस्टर और चेतावनी गठबंधन को असहज कर रहे हैं।
मुख्य सवाल यह है कि..
क्या INDIA गठबंधन AIMIM को साथ लेकर चलेगा? या फिर यह चेतावनी वोट बैंक में दरार बनकर गठबंधन को नुकसान पहुंचाएगी? क्या AIMIM बनेगी गेम चेंजर?
राजनीतिक जानकारों का कहना है कि मुस्लिम वोट बिहार की राजनीति का निर्णायक फैक्टर है। अगर AIMIM को नज़रअंदाज़ किया गया और यह नाराज़गी वोट में तब्दील हो गई, तो INDIA गठबंधन को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है।
राहुल गांधी की यात्रा से बिहार में चुनावी माहौल गर्म है। जनता का उत्साह दिखाई दे रहा है। लेकिन AIMIM समर्थकों के पोस्टर ने इस उत्साह के बीच गठबंधन के सामने नई चुनौती खड़ी कर दी है।
अब देखना होगा कि INDIA गठबंधन इस चुनौती को किस तरह साधता है। क्या AIMIM को जगह देकर मुस्लिम वोटों को एकजुट रखेगा? या फिर यह चेतावनी वास्तव में गठबंधन के लिए चुनावी चोट साबित होगी?