जोहार हिंदुस्तान | पटना : बिहार चुनाव जैसे-जैसे नज़दीक आ रहे हैं, राजनीतिक दल और नेता जनता को साधने के लिए हर तरह की रणनीति अपनाते नज़र आ रहे हैं। इसी क्रम में चुनावी मैदान में उतरे प्रशांत किशोर का नया अंदाज़ सुर्खियों में है।
हाल ही में एक कार्यक्रम के दौरान प्रशांत किशोर ने पारंपरिक मुस्लिम पहनावा अपनाते हुए टोपी पहनी और साफ़ा लपेटा। कार्यक्रम में मौजूद लोगों ने उन्हें यह सम्मान स्वरूप पहनाया, जिसे उन्होंने स्वीकार कर लिया।
राजनीतिक गलियारों में इसे लेकर काफ़ी चर्चाएं हो रही हैं। आलोचकों का कहना है कि प्रशांत किशोर पहले ऐसे बयान देते रहे हैं, जिनमें उन्होंने मुसलमानों और ग़ाज़ा को लेकर मज़ाक उड़ाने जैसी बातें की थीं। वहीं अब चुनावी मौसम में वे समुदाय विशेष को लुभाने के लिए धार्मिक प्रतीकों का सहारा ले रहे हैं।
राजनीतिक जानकारों का मानना है कि बिहार की राजनीति में पहचान की राजनीति और प्रतीकों का इस्तेमाल हमेशा से अहम रहा है। ऐसे में प्रशांत किशोर का यह अंदाज़ भी चुनावी रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है।
हालाँकि समर्थकों का कहना है कि यह सम्मान और भाईचारे की भावना से जुड़ा हुआ है। उनका तर्क है कि चुनाव लोकतंत्र का पर्व है और इसमें सभी समुदायों के बीच सौहार्द और विश्वास बढ़ाना ही नेताओं की प्राथमिकता होनी चाहिए।
अब देखना दिलचस्प होगा कि प्रशांत किशोर की यह रणनीति चुनावी समीकरणों में कितना असर डाल पाती है।