जोहार हिंदुस्तान | रांची : झारखंड की राजनीति और स्वास्थ्य क्षेत्र में ऐतिहासिक कदम—राज्य सरकार ने रिम्स-2 विवाद पर लगाम लगाते हुए बड़ा फैसला लिया है। नगड़ी में प्रस्तावित रिम्स-2 अस्पताल अब शिबू सोरेन इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (SSIMS) के नाम से जाना जाएगा।
यह घोषणा झारखंड के स्वास्थ्य, आपूर्ति एवं आपदा प्रबंधन मंत्री डॉ. इरफान अंसारी ने विधानसभा में की। उन्होंने इसे झारखंड की अस्मिता, गौरव और गरीबों की आवाज़ से जुड़ा हुआ बताया।
शिबू सोरेन के नाम पर क्यों?
डॉ. इरफान अंसारी ने कहा कि आदरणीय शिबू सोरेन हमेशा से ही आदिवासी, दलित, किसान और वंचित समाज की ताकत रहे हैं। उन्हें “गरीबों का मसीहा” कहा जाता है।
उन्होंने कहा इसी विरासत को सम्मान देने और अमर बनाने के लिए नगड़ी में बनने वाला यह मेडिकल हब उनके नाम पर होगा।
SSIMS की खासियतें – पूर्वी भारत का सबसे आधुनिक स्वास्थ्य संस्थान
सुपर स्पेशलिटी वार्ड
अत्याधुनिक रिसर्च सेंटर
मुफ्त और सस्ती स्वास्थ्य सेवाएँ गरीबों व वंचितों के लिए
मेडिकल शिक्षा और रिसर्च में नए अवसर
झारखंड के युवाओं के लिए हज़ारों रोजगार और ट्रेनिंग
झारखंड से पूरे पूर्वी भारत तक पहुंचेगी स्वास्थ्य क्रांति
डॉ. इरफान अंसारी ने कहा कि SSIMS सिर्फ झारखंड ही नहीं बल्कि बिहार, ओडिशा, बंगाल और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों के लिए भी स्वास्थ्य सुविधाओं का बड़ा केंद्र बनेगा।
उन्होंने कहा.. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और राज्य सरकार की प्रतिबद्धता है कि झारखंड का हर नागरिक गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सुविधा पाए। SSIMS स्वास्थ्य क्रांति की शुरुआत करेगा।
राजनीतिक और सामाजिक महत्व
यह फैसला झारखंड की राजनीति में भावनात्मक जुड़ाव लाएगा। शिबू सोरेन के नाम से जुड़ने पर जनता में गौरव और विश्वास की भावना बढ़ेगी। विपक्ष इसे राजनीतिक स्टंट कह सकता है, लेकिन समर्थकों के लिए यह झारखंड की अस्मिता का सवाल है।