जोहार हिंदुस्तान | नई दिल्ली : सरकारी नियुक्तियों और SSC में धांधली रोज़गार और न्याय की मांग लेकर दिल्ली के रामलीला मैदान में एकत्रित SSC अभ्यर्थियों पर सोमवार रात पुलिस की लाठियां बरसीं। धांधली के खिलाफ शांतिपूर्ण धरना-प्रदर्शन ने तब भयावह रूप ले लिया, जब अचानक मैदान की लाइट काट दी गई और अंधेरे में पुलिसकर्मी छात्रों पर टूट पड़े।
यह सिर्फ एक लाठीचार्ज नहीं, बल्कि लोकतंत्र पर गहरा वार था। सवाल यह उठता है कि क्या बेरोजगार युवाओं की आवाज़ अब अंधेरे और लाठियों से दबाई जाएगी?
अंधेरे का जाल और सादे कपड़ों में पुलिस का हमला
अभ्यर्थियों का आरोप है कि पहले पूरे मैदान की बिजली काटी गई, जिससे जगह-जगह अफरा-तफरी मच गई। इसके तुरंत बाद सादे कपड़ों में मौजूद पुलिसकर्मी लाठियों के साथ आंदोलनकारियों पर टूट पड़े।
घटनास्थल पर मौजूद एक अभ्यर्थी ने कहा..
“हम लोकतंत्र में विश्वास करके यहां आए थे। लेकिन हमें अपराधियों की तरह अंधेरे में पीटा गया। यह आज़ाद भारत है या अंग्रेज़ों का राज?”
घायल छात्र, खून से लाल मैदान
लाठीचार्ज में दर्जनों छात्र घायल हो गए। किसी का सिर फूटा, तो किसी के हाथ-पैर टूटे। कई छात्रों को गंभीर चोटों के बाद नज़दीकी अस्पतालों में भर्ती कराया गया।
एक घायल छात्र ने तंज कसते हुए कहा..
“हम रोजगार मांगने आए थे, लेकिन हमें इलाज की ज़रूरत पड़ गई। यही है बेरोजगार युवाओं की कीमत?”
क्यों सड़क पर उतरे छात्र?
देशभर से आए अभ्यर्थी SSC परीक्षा में धांधली, पेपर लीक और भर्ती में देरी के खिलाफ एकजुट हुए थे। दिनभर शांतिपूर्ण धरना चला, जहां सिर्फ तीन मांगें उठीं –
परीक्षा प्रक्रिया में पारदर्शिता
भर्ती प्रक्रिया में तेज़ी
और जिम्मेदारों की जवाबदेही
“अंग्रेज़ों के जुल्म जैसी तस्वीर”
छात्रों ने लाठीचार्ज की तुलना स्वतंत्रता संग्राम के दौरान अंग्रेज़ों की बर्बरता से की।
“जैसे अंग्रेज़ स्वतंत्रता सेनानियों पर जुल्म ढाते थे, वैसे ही हम पर भी जुल्म किया गया। सरकार हमारी आवाज़ सुनने के बजाय उसे दबाने पर उतारू है।”
44 छात्र गिरफ्तार – मैदान में तनाव
लाठीचार्ज के बाद पुलिस ने 44 छात्रों को हिरासत में ले लिया। देर रात तक रामलीला मैदान तनावपूर्ण माहौल में छावनी में तब्दील रहा।
लोकतंत्र पर खड़े सवाल
रामलीला मैदान की घटना अब पूरे देश में बहस का मुद्दा बन गई है –
क्या युवाओं की आवाज़ अब लाठियों से दबाई जाएगी?
क्या रोजगार मांगना अपराध है?
क्या सरकार परीक्षा में धांधली पर जवाब देने से बचना चाहती है?
अभ्यर्थियों का ऐलान – “लड़ाई होगी और तेज”
घायल और गिरफ्तारियां होने के बावजूद छात्रों ने हार मानने से इनकार कर दिया।
“हम पीछे हटने वाले नहीं हैं। चाहे जितनी लाठियां बरसें, रोजगार हमारा हक है और हम इसे लेकर रहेंगे।”
यह घटना सिर्फ SSC अभ्यर्थियों की लड़ाई नहीं, बल्कि पूरे देश के युवाओं की आवाज़ है। अगर रोजगार मांगने वालों पर ही लाठियां बरसेंगी, तो सवाल उठना लाज़मी है – क्या यह वही भारत है, जिसके लिए हमारे पूर्वजों ने आज़ादी की लड़ाई लड़ी थी?