जोहार हिंदुस्तान | मध्यप्रदेश के शिवपुरी जिले से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है। यहां कुपोषण से जूझ रही 15 महीने की बच्ची की मौत हो गई। हैरानी की बात यह है कि परिवार ने इलाज कराने में कोई रुचि नहीं दिखाई, क्योंकि वे बेटा चाहते थे और बेटी के इलाज पर खर्च नहीं करना चाहते थे।
इलाज से बचते रहे परिजन
जानकारी के मुताबिक, बच्ची की हालत लगातार बिगड़ रही थी। स्वास्थ्य विभाग को इसकी सूचना मिली तो टीम ने जबरन बच्ची को अस्पताल बुलवाया। डॉक्टरों ने तुरंत इलाज शुरू करने की कोशिश की, लेकिन परिवार के लोग बच्ची को अस्पताल में रखने के बजाय वापस घर ले गए।
लापरवाही बनी मौत की वजह
स्वास्थ्यकर्मियों के लाख समझाने के बावजूद परिजन नहीं माने। इलाज के अभाव में बच्ची की हालत गंभीर होती गई और आखिरकार उसने दम तोड़ दिया। यह मौत जिले ही नहीं, पूरे प्रदेश के लिए गहरी चिंता का विषय बन गई है।
स्वास्थ्य विभाग का बयान
जिला स्वास्थ्य अधिकारी ने कहा..
“हमने बच्ची को इलाज के लिए अस्पताल लाने की पूरी कोशिश की थी, लेकिन परिजन सहयोग नहीं कर रहे थे। बार-बार समझाने के बावजूद उन्होंने बच्ची को घर ले जाकर इलाज बीच में ही बंद कर दिया। यह बेहद दुखद और चिंताजनक है।”
स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया
गांव के कुछ लोगों का कहना है कि परिवार बेटा चाहता था और बेटी की बीमारी को गंभीरता से नहीं लिया। ग्रामीणों ने बताया..
“बच्ची कई महीनों से बीमार थी, लेकिन घरवाले उसे दवा दिलाने के लिए तैयार नहीं थे। हम लोगों ने भी समझाया, लेकिन उन्होंने कहा कि लड़की है, इलाज क्यों कराएं।”
समाज पर बड़ा सवाल
यह घटना सिर्फ एक परिवार की लापरवाही नहीं, बल्कि समाज में फैली उस सोच को उजागर करती है जिसमें बेटे की चाहत में बेटियों की अनदेखी की जाती है। कुपोषण और स्वास्थ्य सेवाओं की चुनौतियों के बीच इस तरह की घटनाएँ गहरी चिंता का विषय हैं।