जोहार हिंदुस्तान | पटना : बिहार में कोसी नदी की बाढ़ ने एक बार फिर जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित कर दिया है। इस बाढ़ से सीधे तौर पर 34 विधानसभा सीटों के लाखों वोटर प्रभावित हुए हैं। लोगों के घर पानी में डूब गए हैं, खेत-खलिहान बर्बाद हो गए और अनाज तक नष्ट हो चुका है। कोसी की बाढ़ ने न सिर्फ बिहार के हजारों परिवारों को प्रभावित किया है, बल्कि आने वाले विधानसभा चुनावों के समीकरणों को भी बदल सकती है। जनता के मन में एक ही सवाल है, क्या उनके नेता केवल हवाई सर्वेक्षण और बयानबाज़ी तक ही सीमित रहेंगे?
राजनीतिक समीकरण पर भी असर
इन 34 विधानसभा सीटों में से 26 सीटें वर्तमान में NDA के पास हैं, जबकि 8 सीटें महागठबंधन के हिस्से में आती हैं। बाढ़ प्रभावित इलाकों के मतदाताओं का कहना है कि उन्हें बाढ़ से ज्यादा इस बात का दुख है कि उनके नेता संकट की इस घड़ी में कहीं नजर नहीं आ रहे।
CM का सिर्फ ‘हवाई सर्वेक्षण’
मुख्यमंत्री ने बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों का केवल एक बार ‘हवाई सर्वेक्षण’ किया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि जमीन पर राहत और बचाव कार्य का असर बिल्कुल नगण्य है। कई परिवार अब भी ऊँचे स्थानों पर शरण लेने को मजबूर हैं।
विधायक गायब, जनता नाराज
चौंकाने वाली बात यह है कि इन बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के कई क्षेत्रीय विधायक तक मौके पर नहीं पहुँचे। लोगों का आरोप है कि चुनाव के समय नेता हर घर तक पहुँचते हैं, लेकिन संकट की घड़ी में जनता को भगवान भरोसे छोड़ दिया जाता है।
जनता की पुकार
पीड़ित परिवारों ने सरकार से जल्द से जल्द राहत सामग्री, मुआवज़ा और पुनर्वास की मांग की है। लोगों का कहना है कि कोसी की बाढ़ हर साल आती है, लेकिन अब तक कोई स्थायी समाधान नहीं निकाला गया।