जोहार हिंदुस्तान | चंदवा/झारखंड : किसान नेता एवं लातेहार जिले के चंदवा प्रखंड के कामता पंचायत समिति सदस्य अयुब खान ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए मांग कि है कि 15 अगस्त 2025 को जब पूरा देश आज़ादी का जश्न मना रहा होगा, उसी दिन झारखंड के जननायक दिशोम गुरु शिबू सोरेन का श्राद्धकर्म नेमरा गांव में आयोजित होगा।
उन्होंने कहा कि ऐसे शोक और गम के माहौल में स्वतंत्रता दिवस पर सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन उचित नहीं है। यह समय उनके परिवार और पूरे झारखंड के शोक में सहभागी बनने का है।
अयुब खान ने राज्यपाल संतोष गंगवार और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से एक्स हैंडल के माध्यम से आग्रह किया कि राज्यभर में स्वतंत्रता दिवस के दिन होने वाले सांस्कृतिक एवं मनोरंजन कार्यक्रम स्थगित किए जाएं, ताकि दिशोम गुरु को सच्ची श्रद्धांजलि दी जा सके।
दिशोम गुरु: संघर्ष और त्याग की मिसाल
अयुब खान ने कहा कि शिबू सोरेन वह व्यक्तित्व थे जिन्होंने झारखंड को अलग राज्य का दर्जा दिलाने में निर्णायक भूमिका निभाई। उन्होंने राजनीति को सत्ता का साधन नहीं, बल्कि जन अधिकारों की लड़ाई का हथियार बनाया। वे तीन बार झारखंड के मुख्यमंत्री रहे, सांसद और केंद्रीय मंत्री भी बने। उनकी सबसे बड़ी पहचान – जमीन, जंगल और जल की रक्षा के लिए आजीवन संघर्ष करना है।
उन्होंने1957 में महाजनी प्रथा के खिलाफ आंदोलन के दौरान अपने पिता की हत्या के बाद भी उनका हौसला नहीं टूटा। उन्होंने नेमरा से निकलकर पूरे झारखंड और कई राज्यों में गरीब, शोषित और आदिवासी समाज के हक में आवाज़ उठाई।
1969-70 में उन्होंने जल-जंगल-जमीन आंदोलन शुरू किया। 1980 के दशक में बिनोद बिहारी महतो के साथ मिलकर झारखंड आंदोलन को निर्णायक मोड़ दिया। उनका संदेश साफ था – शिक्षा, शराब से दूरी और सूदखोरों से बचाव।
शोक में डूबा झारखंड
अयुब खान ने कहा.. दिशोम गुरु सिर्फ एक नेता नहीं, बल्कि लाखों-करोड़ों आदिवासियों और गरीबों के लिए भगवान से कम नहीं हैं। विधानसभा का चल रहा मानसून सत्र उनके निधन के बाद अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो चुका है। ऐसे में स्वतंत्रता दिवस के सांस्कृतिक कार्यक्रम भी स्थगित कर, दिशोम गुरु को राजकीय सम्मान के साथ श्रद्धांजलि दी जानी चाहिए। उन्होंने राज्यपाल और मुख्यमंत्री से तत्काल आदेश जारी करने की अपील की है, ताकि इस ऐतिहासिक व्यक्तित्व के प्रति राज्य अपना आभार और सम्मान प्रकट कर सके।