जोहार हिंदुस्तान | झारखंड : लोहरदगा : विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर रूढ़िजन्य जनजाति राजी पड़हा सरना प्रार्थना सभा जिला समिति, लोहरदगा ने दरहा देशवाली कूटमु, लोहरदगा कला संस्कृति भवन में विशेष कार्यक्रम आयोजित कर इसे दिशोम गुरु व पूर्व मुख्यमंत्री शिबू सोरेन के शहादत दिवस के रूप में मनाया।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में लोहरदगा विधायक व पूर्व मंत्री डॉ. रामेश्वर उरांव शामिल हुए। सादगीपूर्ण माहौल में आयोजित इस कार्यक्रम की शुरुआत स्वर्गीय शिबू सोरेन की प्रतिमा पर माल्यार्पण से हुई, जिसके बाद दो मिनट का मौन रखकर उन्हें श्रद्धांजलि दी गई।
डॉ. रामेश्वर उरांव का संबोधन..
अपने उद्बोधन में डॉ. रामेश्वर उरांव ने कहा.. “आज का दिन सिर्फ आदिवासी संस्कृति का उत्सव नहीं, बल्कि उन सभी महान योद्धाओं को याद करने का दिन है जिन्होंने जल–जंगल–जमीन की रक्षा के लिए अपने प्राण न्योछावर कर दिए। बिरसा मुंडा, सिद्धू-कान्हु, वीर बुधु भगत के बाद अगर किसी ने आदिवासियों की लड़ाई को मजबूत आवाज दी तो वे थे दिशोम गुरु शिबू सोरेन। वे आदिवासियों के सच्चे मसीहा थे।”
उन्होंने कहा कि शिबू सोरेन का निधन आदिवासी समाज के लिए अपूरणीय क्षति है, लेकिन उनका संघर्ष और विचारधारा हमेशा प्रेरणा देती रहेगी। उन्होंने सभी से अपील की कि इस अवसर पर हम अपनी संस्कृति, सभ्यता और प्राकृतिक संसाधनों की रक्षा का संकल्प लें।
कार्यक्रम की विशेषताएँ
कार्यक्रम से पहले लोहरदगा मैना बगीचा स्थित वीर बुधु भगत और कचहरी मोड़ स्थित भगवान बिरसा मुंडा की प्रतिमाओं पर माल्यार्पण व पुष्पांजलि अर्पित की गई।
सांस्कृतिक भवन में आदिवासी गीत, नृत्य और पारंपरिक वाद्य यंत्रों की गूंज ने माहौल को जीवंत कर दिया।
वक्ताओं ने आदिवासी इतिहास, संस्कृति और अधिकारों की रक्षा के लिए युवाओं को जागरूक और एकजुट रहने का संदेश दिया।
उपस्थित प्रमुख लोग
इस अवसर पर मुख्य रूप से विधायक डॉ. रामेश्वर उरांव, उनके पुत्र व सामाजिक कार्यकर्ता रोहित उरांव, सोमदेव उरांव, सोमा उरांव, बिरसा उरांव, जलेश्वर उरांव, नीलम, प्रमिला, सुमति, बीना, राजमनी, कांती, जयंती, विसनी फूलदेव, कृष्ण, सोमे उरांव, सुधू भगत, मंगलदास सहित बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे।
यह आयोजन न केवल शिबू सोरेन के संघर्ष को याद करने का अवसर बना, बल्कि जल–जंगल–जमीन की रक्षा और आदिवासी गौरव को बनाए रखने का संकल्प भी दिला गया।