जोहार हिंदुस्तान डेस्क : लोहरदगा/भंडरा : आजाद भारत को 75 साल हो गए और झारखंड बने 25 साल, लेकिन लोहरदगा जिले के भंडरा प्रखंड अंतर्गत मसमानो पंचायत के बुड़का गांव के हालात अब भी उसी पुराने दौर में हैं। गांव तक आने वाली सड़क की दुर्दशा से परेशान ग्रामीणों ने शुक्रवार को अनोखे अंदाज़ में विरोध जताया — गड्ढे और कीचड़ से भरी सड़क पर धान की रोपाई कर जनप्रतिनिधियों और प्रशासन के प्रति नाराज़गी जाहिर की।
गांव के तीन टोलों—टाईन टोला, गोपी टोला और अम्बा टोला को मुख्य सड़क से जोड़ने वाले सभी रास्ते कीचड़ और गड्ढों में तब्दील हो चुके हैं। यहां चार पहिया वाहन तो छोड़िए, दोपहिया और पैदल चलना तक मुश्किल हो गया है। मरीजों को अस्पताल पहुंचाना, बच्चों को स्कूल भेजना और बारात का गांव में प्रवेश — सभी सामान्य काम कठिन चुनौती बन चुके हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि 2009 के बाद से सड़क की मरम्मत तक नहीं हुई है। अगर कोई रात में बीमार पड़ जाए तो एम्बुलेंस तक गांव नहीं पहुंच पाती। गांव वालों ने बताया कि शादी समारोह में बारात को गांव से 3 किलोमीटर पहले ही रोक देना पड़ता है।
ग्रामीणों ने कहा कि क्षेत्र के सांसद, विधायक और जनप्रतिनिधियों ने कई बार वादे किए, अधिकारी भी आए-गए, लेकिन सड़क निर्माण सिर्फ कागजों और चुनावी भाषणों तक ही सीमित रहा। अब ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि जल्द कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई तो वे बड़ा जन आंदोलन खड़ा करेंगे।
प्रदर्शन में प्रमुख रूप से सूखना उरांव, बीरू महतो, संजय महली, रामखेलावन महतो, रविंद्र महली, बुद्धू उरांव, सोनेश्वर उरांव, फकीरा उरांव, सूरज महली, जीतू पुजार समेत कई ग्रामीण मौजूद रहे।
R.E.O ने पूरे मामले पर क्या कहा
इस पूरे मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए लोहरदगा आरईओ विभाग के कनीय अभियंता जितेन्द्र पंडित ने कहा कि “ग्रामीणों की नाराज़गी जायज़ है। बुड़का गांव की सड़क के निर्माण को लेकर प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत प्रस्ताव भेजा गया है। स्वीकृति मिलते ही कार्य शुरू कर दिया जाएगा।” हालांकि उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि यह स्वीकृति कब तक मिलेगी।
सवाल अब भी बरकरार
झारखंड जैसे खनिज और वन संपदा से भरपूर राज्य में जब एक आदिवासी बहुल गांव आज भी सड़क जैसी मूलभूत सुविधा से वंचित है, तो सवाल उठता है कि विकास की योजनाएं आखिर किन रास्तों पर जा रही हैं?