जोहार हिंदुस्तान डेस्क : नई दिल्ली/ रांची: झारखंड में अल्पसंख्यक मुस्लिम समुदाय के दो युवकों—आफ़ताब अंसारी (रामगढ़) और महफूज अहमद (पलामू) की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौतों ने राज्य की कानून व्यवस्था, पुलिस प्रशासन और राजनीतिक नेतृत्व पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।
इन घटनाओं को लेकर आजाद समाज पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और सांसद चंद्रशेखर आज़ाद ने सोशल मीडिया पर तीखी प्रतिक्रिया देते हुए झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से जवाबदेही तय करने और कार्रवाई की चार प्रमुख मांगें रखी हैं।
मामला 1: आफ़ताब अंसारी की मौत — हिरासत से ‘फरार’ या सुनियोजित हत्या?
रामगढ़ महिला थाना क्षेत्र में 23 जुलाई को एक युवती द्वारा आफ़ताब अंसारी पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया गया। आरोप के तुरंत बाद भीड़ ने आफ़ताब को उसकी दुकान से खींचकर बेरहमी से पीटा। मौके पर पहुंची पुलिस ने हमलावरों को नहीं रोका, बल्कि आफ़ताब को हिरासत में ले लिया। 24 जुलाई को दावा किया गया कि आफ़ताब थाने से फरार हो गया। 27 जुलाई को उसकी लाश रजरप्पा नदी किनारे मिली।
चंद्रशेखर आज़ाद ने सवाल उठाया.. अगर वह पुलिस हिरासत में था तो फरार कैसे हुआ? और अगर फरार था, तो सीधा नदी किनारे लाश कैसे मिली?”
मामला 2: महफूज अहमद की मौत — कस्टोडियल टॉर्चर का शिकार?
1 मार्च को पलामू जिले के नवाबाजार थाना पुलिस ने महफूज अहमद को बिना वारंट के उनके क्लीनिक से उठाया। चार दिन तक थाने में रखने के बाद 4 मार्च को गंभीर हालत में अस्पताल भेजा गया। उसी दिन उन्हें RIMS रांची रेफर किया गया। लेकिन पुलिस ने दावा किया कि 6 मार्च को उन्हें अवैध हथियार के साथ गिरफ्तार किया गया, और 7 मार्च को RIMS में भर्ती कराया गया।
इस विरोधाभास पर चंद्रशेखर ने पूछा.. जो व्यक्ति 4 मार्च से ही अस्पताल में भर्ती था, वह 6 मार्च को गिरफ्तार कैसे हुआ?” उन्होंने आशंका जताई कि थर्ड डिग्री टॉर्चर और कस्टोडियल डेथ को छिपाने के लिए फर्जी केस बनाया गया।
CM हेमंत सोरेन से चंद्रशेखर आज़ाद की 4 प्रमुख माँगें
1. दोनों मामलों में हाईकोर्ट की निगरानी में न्यायिक जांच या स्वतंत्र SIT गठित की जाए।
2. जिम्मेदार पुलिस अधिकारियों पर भारतीय न्याय संहिता (BNS) की सख्त धाराओं के तहत हत्या का मामला दर्ज किया जाए।
3. पीड़ित परिवारों को 1 करोड़ रुपये का मुआवज़ा, एक सदस्य को सरकारी नौकरी, और पूर्ण सुरक्षा प्रदान की जाए।
4. झारखंड सरकार इन मामलों में जनता के प्रति जवाबदेह बने और पारदर्शिता सुनिश्चित करे।
आज़ाद समाज पार्टी की चेतावनी: न्याय नहीं मिला तो होगा जन आंदोलन
चंद्रशेखर आज़ाद ने कहा कि यदि इन मामलों में समय पर न्याय नहीं मिला तो झारखंड की सड़कों पर जन आंदोलन खड़ा किया जाएगा। उन्होंने इसे संविधान और मानवाधिकार की लड़ाई बताया और देशभर के सामाजिक संगठनों से समर्थन की अपील की।
इन दोनों मामलों में राज्य सरकार और पुलिस की चुप्पी कई सवालों को जन्म दे रही है। पीड़ित परिवार सदमे में हैं और इंसाफ की उम्मीद लगाए बैठे हैं। अब देखना होगा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन इन सवालों का जवाब देते हैं या नहीं।